हापुड़ जिले के सरकारी अस्पतालों में त्वचा और आंतों के घाव दवाओं से नहीं भरने वाले मरीज पहुंच रहे हैं। जांच में इन मरीजों में टीबी की पुष्टि हुई है। आंख, रीढ और गुर्दों में भी टीबी के मरीज बढ़ रहे हैं। फेफड़ों की टीबी वाले मरीज सबसे अधिक हैं। हाल ही में निजी अस्पताल से दो मरीज सीएचसी आए हैं।
सीएचसी के फिजिशियन डॉ. अशरफ अली ने बताया कि टीबी होने पर वजन घटना, शाम के समय बुखार चढ़ना प्रमुख लक्षण हैं। लेकिन शरीर के विभिन्न अंगों में टीबी हो रहा है। जिसे लक्षण के आधार पर पहचान पाना मुश्किल होता है। निजी अस्पतालों में राहत नहीं मिलने पर ऐसे मरीज सरकारी अस्पतालों का रुख कर रहे हैं। हाल ही में निजी अस्पताल से दो मरीज सीएचसी आए हैं। इनके त्वचा पर जख्म बन रहे थे, काफी उपचार के बाद भी आराम नहीं लगा।
सीएचसी में ही इन मरीजों की जांच कराई तो टीबी पॉजिटिव आया। इसके साथ ही पैनक्रियाज और आंतों में घाव बनने वाले मरीजों का उपचार भी सीएचसी में चल रहा है। इन मरीजों की जांच में भी टीबी मिला है। इन मरीजों की दवाएं चला दी गई हैं, छह से 9 महीने तक दवाएं चलेंगी। उन्होंने बताया कि आंख, रीढ़, गुर्दों में भी टीबी निकल रहा है। फेफड़ों की टीबी वाले मरीज सबसे अधिक हैं।