हापुड़ में स्वास्थ्य विभाग की एंबुलेंस सेवा भी मरीजों की जान पर आफत बन रही है। किसी में ऑक्सीजन सिलिंडर नहीं है तो किसी में अग्निशमन यंत्र और फर्स्ट एड बॉक्स खाली पड़े हैं। कुछ के टायर घिस गए हैं। परिवहन विभाग से गाड़ियों की फिटनेस कराने का अफसर दावा कर रहे हैं, लेकिन इनकी हालत देखकर फिटनेस का अंदाजा लगाया जा सकता है।
सड़क दुर्घटना और अन्य बीमारियों से ग्रस्त मरीज व गर्भवती महिलाओं को अस्पतालों तक पहुंचाने के लिए 102 और 108 नंबर एंबुलेंस की व्यवस्था की गई है। पिछले दिनों विभाग को नई गाड़ियां भी मिली हैं। लेकिन सड़कों पर अभी भी पुराने टायर और बिखरी बॉडी के साथ एंबुलेंस दौड़ रही हैं। फर्स्ट एड बॉक्स और स्ट्रेचर की व्यवस्था बदहाल है, मरीजों की जान पर आफत बनी हुई है। शहर में दौड़ रहीं एंबुलेंस की यही हकीकत है।
जिले में मरीजों की जान बचाने वाली एम्बुलेंस का भरोसा करना अब खतरे से खाली नहीं रह गया है। वहीं, कुछ एंबुलेंस में तैनात कुछ कर्मचारी सही से ऑक्सीजन सिलिंडर का प्रयोग तक नहीं कर पाते। जब कर्मचारियों से पूछा कि सिलिंडर में कितना ऑक्सीजन है, तो नहीं बता पाए। खस्ता हाल एंबुलेंस सड़कों पर दिनरात दौड़ती हैं ऐसे में मरीजों की जान भी खतरे में है।
एआरटीओ प्रवर्तन रमेश चौबे- ने बताया की परिवहन विभाग में पंजीकृत समस्त एंबुलेंस को फिटनेस का प्रमाण पत्र नियमानुसार ही दिया जाता है। फिटनेस के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता। लगातार अभियान चलाया जाता है, आगे भी अभियान जारी रहेगा।
सीएमओ डॉ. सुनील त्यागी- ने बताया की जिले में संचालित 102 और 108 नंबर एंबुलेंस मरीजों को आपात समय में बेहतर सेवा दे रही हैं। स्टाफ को स्पष्ट आदेश दिए हैं कि मरीजों की जान से खिलवाड़ नहीं होनी चाहिए। मैं खुद निरीक्षण करूंगा।