हापुड़ में गेहूं का क्षेत्रफल पिछले तीन सालों में आठ हजार हेक्टेयर रकबा घटा है। गेहूं का क्षेत्रफल घटने और अनुकूल मौसम ना रहने के चलते तापमान में उछाल से जिले में गेहूं की बुवाई रुक गई है, इस वर्ष रकबा घटने के आसार हैं। उत्पादन भी करीब 13 हजार टन गिरा है। दिसंबर में दो बार बारिश के कारण बुवाई नहीं हुई, तापमान में उछाल से किसानों ने मन बदल लिया है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हापुड़ को भी अनाज का कटोरा कहा जाता है। वर्ष 2021-22 तक के आंकड़ों पर गौर करें – तो जिले में गेहूं का रकबा 43 हजार हेक्टेयर के पार पहुंच गया था। उत्पादन भी 43.75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर था। लेकिन पिछले कुछ सालों में मजदूर नहीं मिलने, जोत घटने और तापमान के अस्थिर रहने से रकबा लगातार घट रहा है।
इस साल नवंबर महीने से ही तापमान गेहूं के अनुकूल रहा। शुरूआत में जमकर गेहूं की बुवाई हुई। लेकिन 40 फीसदी गेहूं दिसंबर के अंत से 26 जनवरी के बीच बोया जाता है। उस समय किसान गन्ना काटकर गेहूं की बुवाई करते हैं। लेकिन इस बार दिसंबर के अंत से दस दिन के अंतराल पर दो बार बरसात हुई। जिस कारण खेतों में पानी भरने से गेहूं की बुवाई पिछड़ गई। अब खेत सूखे हैं, लेकिन तापमान 23 डिग्री को पार कर गया है। ऐसे में पूरी जनवरी में तीन से चार फीसदी गेहूं ही बोया जा सका है।
दिसंबर के अंत से दो बार बरसात और 23 डिग्री पहुंच चुके तापमान के कारण किसानों ने गेहूं छोड़, जेई या अन्य फसल की बुवाई का मन बना लिया है। इस वर्ष कृषि विभाग के अफसरों ने 35977 हेक्टेयर रकबें में गेहूं बुवाई का लक्ष्य रखा था। लेकिन यह लक्ष्य आसानी से पूरा होता नहीं दिख रहा है। हालांकि विभाग ने अभी वास्तविक रकबे का आंकड़ा साझा नहीं किया है।
जिला कृषि अधिकारी मनोज कुमार- ने बताया की जिले में इस वर्ष 35,977 हेक्टेयर रकबे में गेहूं बुवाई का लक्ष्य रखा है, इसके अनुरूप फसल की बुवाई हुई है। इन दिनों बढ़ता तापमान फसल के लिए ठीक नहीं है। किसानों को फसलों का ध्यान रखने के लिए जागरूक किया जा रहा है।