हापुड़ | जमीन की रजिस्ट्री कराने पहुंचे लोगों को सर्वर डाउन और ओटीपी न मिलने की समस्या से जूझना पड़ रहा है। उप निबंधन कार्यालय चितौली में तकनीकी खामियों के कारण रजिस्ट्री प्रक्रिया घंटों तक अटक रही है। शासन द्वारा लागू किए गए नए ओटीपी सिस्टम का उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना था, लेकिन वर्तमान में यह व्यवस्था लोगों के लिए परेशानी का कारण बन गई है।
नया नियम, तीन बार ओटीपी — लेकिन समय पर नहीं
राज्य सरकार ने हाल ही में नियम लागू किया है कि क्रेता और विक्रेता, दोनों को तीन-तीन बार ओटीपी प्राप्त करना जरूरी है। लेकिन नेटवर्क की खराब स्थिति और सर्वर की अस्थिरता के कारण ये ओटीपी न समय पर पहुंच रहे हैं, न ही सभी को मिल पा रहे हैं।
चितौली स्थित उप निबंधन कार्यालय में मोबाइल नेटवर्क की स्थिति भी कमजोर है, जिससे लोगों को लंबे समय तक इंतज़ार करना पड़ता है। सोमवार और मंगलवार को कई बार सर्वर डाउन होने की शिकायतें भी सामने आईं।
लोगों को करना पड़ रहा इंतजार
रजिस्ट्री कराने पहुंचे गोपाल ने बताया कि ओटीपी समय से न आने के कारण उन्हें आधा घंटा तक इंतजार करना पड़ा। वहीं अन्य कई लोग घंटों तक लाइन में खड़े नजर आए।
प्रशासन का जवाब
एआईजी स्टांप सुनील सिंह ने कहा:
“कभी-कभी मोबाइल नेटवर्क और सर्वर डाउन होने से गड़बड़ी के कारण ओटीपी आने में समस्या होती है, लेकिन सामान्यतः यह 5 मिनट में आ जाता है। जिला स्तर पर कोई बड़ी समस्या नहीं है।”
हालांकि, स्थानीय स्तर पर स्थिति इससे अलग दिखाई दे रही है।
कृषि भूमि की खरीद में अधिक परेशानी
नए नियम के तहत, जितने भी साझेदार क्रेता और विक्रेता होंगे, सभी को अलग-अलग तीन बार ओटीपी प्राप्त करना होता है। कृषि भूमि की रजिस्ट्री में आमतौर पर कई साझेदार होते हैं, जिससे प्रत्येक व्यक्ति को कई-कई ओटीपी का इंतजार करना पड़ता है। यह प्रक्रिया और अधिक जटिल बन जाती है।