हापुड़ में विटामिन डी की कमी से मरीजों के कमर की डिस्क खिसक रही हैं। विटामिन डी की कमी होने से जोड़ों में दर्द बढ़ रहा है, जोड़ों के बीच में रिक्त स्थान बन रहा है। बड़ी संख्या में ऐसे मरीज ओपीडी में पहुंच रहे हैं। चिकित्सक दवा के साथ ही मरीजों को खान पान में बदलाव की सलाह दे रहे हैं।
विटामिन डी का सबसे बड़ा प्राकृतिक स्रोत सूरज की रौशनी है इसलिए विटमिन डी को सनशाइन विटमिन भी कहते हैं। हड्डियों, मासंपेशियों और दांत को स्वस्थ और मजबूत बनाने के लिए विटमिन डी की जरूरत होती है। शरीर में कैल्शियम को हड्डियों तक पहुंचाने का काम भी विटामिन डी करता है। हालांकि आजकल शहरों में लोग जिस तरह की लाइफस्टाइल जी रहे हैं, उससे शरीर में विटामिन डी की कमी ज्यादा होने लगी है।
हापुड़ सीएचसी के फिजिशियन डॉ. अशरफ अली ने बताया कि कमर, पैर, हाथ में दर्द की समस्या लेकर आने वाले 90 फीसदी मरीज विटमिन डी की कमी से जूझ रहे हैं। जिन मरीजों में कमर से शुरू होने वाला दर्द पैरों की तरफ चलता है उनमें डिस्क खिसकने के मामले ज्यादा आ रहे हैं। विटामिन डी की कमी ही इसका बड़ा कारण बन रही है।
उन्होंने बताया कि बहुत से मरीजों के गर्दन की हड्डी भी खिसक रही है। युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं, खान पान में पूरा पोषण नहीं लेने और धूप में समय न बिताने के कारण मरीजों में विटामिन डी की कमी मिल रही है। इसकी कमी से ही हड्डियों तक पूरा कैल्शियम नहीं पहुंच पाता है, जिस कारण हड्डियां कमजोर रह जाती हैं।
हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ.आरडी शर्मा ने बताया कि विटामिन डी की कमी से थकान, बार-बार बीमार होना या हड्डियों का टूटना, बालों का झड़ना और मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द जैसे लक्षण हो सकते हैं। बच्चों में, गंभीर कमी से रिकेट्स और दांतों की सड़न हो सकती है। रक्त परीक्षण से यह पुष्टि हो सकती है कि आपको विटामिन डी की कमी है या नहीं।