हापुड़ जिले के स्कूलों में अध्ययनरत 1.20 लाख छात्रों की कुंडली शिक्षा विभाग के हाथ में होगी। शासन के आदेश पर प्रत्येक छात्र की यूनिक आईडी बनेगी। इस आईडी के जरिए ऐसे छात्रों को चिह्नित किया जा सकेगा, जो बीच में ही पढ़ाई छोड़ देते हैं।
जिले में 450 परिषदीय स्कूलों के साथ ही 850 से अधिक प्राइवेट स्कूलों का संचालन होता है।
इनमें पढ़ने वाले छात्र कब पढ़ाई छोड़ दें, इसकी जानकारी विभाग को समय पर नहीं मिल पाती। इस समस्या से पार पाने के लिए अब छात्रों की कुंडली एक क्लिक पर खुलेगी, बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों की आसानी से पहचान हो सकेगी। स्कूल जाने वाले हर बच्चे की अब विशिष्ट पहचान होगी। इसके अलावा सरकारी और निजी स्कूलों में अध्ययनरत छात्रों की स्थिति भी स्पष्ट हो सकेगी। इसकी तैयारियां शुरू हो गई है।
बेसिक शिक्षा विभाग बच्चों की यूनिक आईडी बनाने जा रहा है, शासन से आदेश मिल चुके है। इससे बच्चों की प्रगति के साथ विद्यालय छोडने वालों का आसानी से पता चल सकेगा। वहीं, स्कूलों में दाखिले से लेकर उन्हें मिलने वाली विभिन्न योजनाओं में फर्जीवाड़ा नहीं हो सकेगा।
तैयारी है कि यूनिक आईडी के आधार पर ही इंटरमीडिएट तक स्कूलों में प्रवेश दिया जाए। सरकारी व एडेड स्कूलों में कई योजनाएं चलने के बाद भी बच्चे पढ़ाई बीच में छोड़ देते हैं, सरकार हर साल छह से 14 वर्ष तक के बच्चों की खोज के लिए अभियान चलाती है।
इसके अलावा सरकारी व सहायता प्राप्त विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों का दाखिला निजी स्कूलों में भी है। इस बीच बच्चों के अभिभावकों के खाते में यूनीफार्म, स्कूल बैग, जूता-मोजा और स्वेटर का धन भी भेजा जा रहा है, यूनिक आईडी बनने से इन योजनाओं का सही तरीके से लाभ मिल सकेगा और योजनाओं में फर्जीवाड़ा नहीं होगा।
बीएसए अर्चना गुप्ता ने बताया की शासन से आदेश मिल चुका है, जल्द ही छात्रों की यूनिक आईडी बनाई, जाएंगी। इस पहल से पता चल सकेगा कि निजी स्कूल के कितने बच्चे सरकारी स्कूलों में दाखिल हुए और सरकारी स्कूलों के कितने बच्चों ने निजी विद्यालयों की राह पकड़ी। यदि दोनों जगह नहीं हैं तो बच्चे कहां हैं, इस पर कार्य कर बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ा जा सकेगा।