हापुड़ के ऊर्जा निगम में 210 करोड़ के नलकूप बिल घोटाले में फंसे किसानों के बिल संशोधित नहीं हो पा रहे हैं, जबकि अधिकारियों ने भाकियू के आंदोलन पर 15 अक्तूबर तक बिल संशोधित करने का आश्वासन दिया था। अब किसान भी वादा खिलाफी से परेशान होकर पुरानी जमा रसीदें जमा नहीं करा रहे, क्योंकि दो साल पहले भी आठ हजार से अधिक किसानों ने रसीदें जमा कराई थी, लेकिन वह कागज भी रद्दी हो गए। जिससे 25 हजार किसान परेशान हो रहे हैं।
जिले के 25 हजार से ज्यादा किसानों के बिल घोटाले के कारण बिगड़े हुए हैं। 1990 या इससे भी पहले से घपले होते रहे, यही कारण है कि ओटीएस आने पर भी किसानों को उनके बिलों पर लगी पेनाल्टी के बारे में नहीं बताया गया। बहुत सी रसीदों का पैसा तत्कालीन कर्मचारियों और अधिकारियों ने अपनी जेबों में रखा। जिस कारण घपला बढ़ता गया। पिछले दिनों भाकियू ने जिला मुख्यालय पर सात दिन तक आंदोलन किया। इसमें ऊर्जा निगम के आला अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि 15 अक्तूबर तक बिलों को संशोधित किया जाएगा।
इसके लिए किसानों से उनकी जमा रसीदें भी मांगी गई, 50 से अधिक किसानों ने रसीदें जमा कराई। लेकिन एक मामले में भी राहत नहीं मिल सकी। यही कारण है कि किसान अब पुरानी रसीदें जमा नहीं करा रहे। दो साल पहले तत्कालीन अधीक्षण अभियंता यूके सिंह और अधिशासी अभियंता मनोज कुमार ने भी किसानों से जमा बिलों की रसीदें जमा कराई थी। इसमें भी कुछ नहीं हो सका था।
अधिशासी अभियंता आरपी वर्मा- ने बताया की किसानों को राहत दिलाने का पूरा प्रयास है, इस प्रकरण की जांच उच्चाधिकारियों द्वारा की जा रही है। किसानों से उनकी जमा बिलों की रसीदें जमा कराई जा रही हैं।
जिलाध्यक्ष भाकियू दिनेश खेड़ा- ने बताया की जिले के हजारों किसानों पर ऊर्जा निगम ने बिन वजह करोड़ों की बकायेदारी दिखाई है। बिलों को संशोधित नहीं किया जा रहा है। इस अनदेखी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बिल ठीक नहीं हुए तो फिर आंदोलन किया जाएगा।