जनपद हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर क्षेत्र में बढ़ती गर्मी अब इंसानों के साथ-साथ फसलों पर भी भारी पड़ने लगी है। सूरज की तपिश से फसलें मुरझाने लगी हैं। पेड़-पौधे भी झुलसने लगे हैं। उन्हें मुरझाने से बचाने के लिए किसानों को बार-बार सिंचाई करनी पड़ रही है। जिसके चलते उन पर आर्थिक बोझ पड़ रहा है।
मई में भीषण गर्मी और लू के थपेड़ों ने जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित कर रखा है। इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है। तापमान 44 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है। इस गर्मी का असर लोगों के साथ-साथ पशु-पक्षियों और सब्जियों पर भी दिख सकता है। सब्जियों की फसले सूर्य देव की प्रचंड तपिश से झुलसने लगी हैं, जिससे फसलों की पैदावार पर असर पड़ने लगा है।
किसानों ने खेतों में घीया, टमाटर, तोरई समेत अन्य फसलों की बोआई की हुई है। फसल सही ढंग से पनपने से पहले ही गर्मी और लू की चपेट में आ गई है। कई दिनों से चिलचिलाती गर्मी के कारण बढ़ रहे तापमान को पौधे सहन नहीं कर पा रहे हैं। अधिकतर पौधों की पतियां झुलस गई हैं।
किसानों का कहना है कि गर्मी से पौधे या तो झुलस गए हैं या फिर उनकी पत्तियां मुरझा गई है। फसलों को बचाने के लिए सिंचाई ही एकमात्र विकल्प है। अतः उन्हें बार- बार पानी देना पड़ रहा है। जिससे उनकी जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। वहीं मंडी में उचित दाम न मिलने से भी लागत भी नहीं निकल पा रही।