हापुड़ दो हजार के नोट को वापस लिए जाने की घोषणा ने सात साल पहले हुई नोटबंदी की याद ताजा कर दी है। आम जन उद्यमी और मजदूर वर्ग इस घोषणा को नोटबंदी के दौरान हुई परेशानी से जोड़कर देख रहे हैं। हालांकि इसमें आरबीआई ने सितंबर तक का समय भी दिया है। जिसे लेकर थोड़ी राहत महसूस की जा रही है, लेकिन इसका विरोध होने संकेत उद्यमी व्यापारियों ने दिए हैं। हालांकि कुछ लोगों ने इसकी सराहना भी की है।
इस घोषणा के बाद जिले के उद्यमियों व व्यापारियों से राय है कि यह फैसला जल्दबाजी में लिया गया है, सात साल पहले भी नोटबंदी की थी। इस घोषणा ने लोगों को नोट बंदी की याद दिलाई। इसका प्रभाव आम जन पर ही पड़ा था, बैंकों की लाइनों में सुबह से शाम तक लगना पड़ा था। अब फिर ऐसी ही समस्या बनेगी।
लोगो का कहना है कि पहले कालाधन वापस लाने के नाम पर वर्ष 2016 में एक हजार और 500 का नोट बंद कर दिया था। लोगों ने बचत कर अपने घरों में खर्च चलाने के लिए जो कैश रखा था, उसे बैंकों में जमा करना मुश्किल हो गया था। बैंकों ने भी अपनी खूब मनमर्जी दिखायी थी और इस नोटबंदी का असर शून्य ही रहा, कालाबाजारियों ने अपने धन को आसानी से सफेद कर लिया।
अब फिर से दो हजार का नोट वापस लेने की घोषणा कर दी गई है। दो हजार का नोट वापसी की घोषणा से लोग नाखुश है, घरों में जिनके पास कैश रखा है उन्हें फिर से परेशानी झेलनी पड़ेगी। सरकार का यह नोटवापसी का फैसला जल्दबाजी में लिया गया है और इस फैसले के बाद भी सरकार का उद्देश्य पूरा नहीं होगा।