हापुड़ जिले को टीबी मुक्त बनाने के लिए अब हर ग्राम पंचायत की एक हजार आबादी पर 30 लोगों की जांच होगी। तीन साल तक कोई केस न आने पर उस ग्राम पंचायत को टीबी मुक्त घोषित किया जाएगा। मरीज को हर दो किलोमीटर की दूरी पर दवाओं के लिए सेंटर मिलेगा, साथ ही खातों में पोषण के लिए 500 रुपये हर महीने पहुंचेंगे।
वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त किया जाना है। हापुड़ में भी अभियान चल रहे हैं। वर्तमान में जिले में 3574 मरीज सक्रिय हैं, जिनमें 72 मरीज एमडीआर श्रेणी में भी पहुंचे चुके हैं। अब शासन ने ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त करने की कवायद शुरू की है। इसके लिए हर एक हजार की आबादी पर 30 लोगों के टेस्ट अनिवार्य रूप से होंगे।
टेस्ट निगेटिव आने पर उस ग्राम पंचायत को टीबी मुक्त घोषित किया जाएगा। पांच गांव इसमें चिन्हित भी किए जा चुके हैं। वहीं, मरीजों को उसके निवास स्थान से दो किलोमीटर के अंदर ही दवा की सुविधा मिल सकेगी, इसके लिए केंद्र बनाए गए हैं। इस संबंध में शुक्रवार को बैठक भी हुई, जिसमें सीएमओ डॉ. सुनील त्यागी, एसीएमओ डॉ.केपी सिंह, जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. राजेश सिंह, डॉ. सुशील चौधरी मौजूद रहे।
जिले में आठ मरीज ऐसे चिन्हित किए गए हैं, जिन्हें एचआईवी है और साथ में टीबी भी है। मरीजों की हालत में सुधार बताया जा रहा है। ऐसे मरीजों की तलाश जारी है।
जिले में 72 मरीज एमडीआर श्रेणी में पहुंच गई हैं। ये ऐसे मरीज हैं, जिन्हें पहले से टीबी था। लेकिन बीच बीच में ये दवाएं छोड़ते गए, इस कारण इन पर सामान्य दवाएं असर नहीं करती।
सीएमओ डॉ. सुनील त्यागी- ने बताया की जिन मरीजों में टीबी के लक्षण हैं, दो सप्ताह तक बलगम के साथ खांसी है। वह अपनी जांच अवश्य करा लें, ताकि टीबी पर नियंत्रण पाया जा सके।