हापुड़ जिले में किसान डीएपी खाद के लिए दर-दर भटक रहे हैं। फसलों की बुआई के समय सहकारी समितियों पर डीएपी का स्टॉक समाप्त हो चुका है, डीएपी के लिए किसान समितियों के चक्कर लगा रहे हैं। डीएपी का संकट खत्म नहीं हो रहा है। सुबह 9 बजे से खाद गोदामों के बाहर किसानों की भीड़ लग रही है। समितियों पर आने वाला स्टॉक दो घंटे भी नहीं चल पा रहा। जबकि जिले के लिए आवंटित रैक अभी नहीं पहुंच सकी है। शुक्रवार को भी दिनभर किसान भटकते रहे। वहीं खाद न मिलने पर चमरी सोसयाटी पर किसानों ने हंगामा किया।
आलू और गेहूं बुवाई का समय चल रहा है। जिस कारण किसानों को डीएपी की आवश्यकता है। मांग बढ़ने के कारण बफर गोदाम में रखा स्टॉक कम पड़ने लगा है। 32 समितियों के खाद गोदामों पर डीएपी का संकट है। समितियों पर कई दिन के अंतराल पर डीएपी भेजा जा रहा है।
शुक्रवार सुबह से चमरी समेत कई समितियों के बाहर किसानों की भीड़ जमा हो गई। किसानों की भीड़ अधिक होने के कारण एक हेक्टेयर पर अधिकतम तीन कट्टे ही मिल सके। अधिकांश समितियों को सिर्फ 200-200 कट्टे ही उपलब्ध कराए गए थे। जिस कारण दो घंटे के अंदर ही गोदाम खाली हो गए। दोयमी सोसायटी से जुड़े किसान भी काफी परेशान हुए।
जिले के कई प्रमुख नकद केंद्रों पर भी डीएपी का संकट है। मंडी में आने वाले किसानों को मायूस लौटना पड़ रहा है। साथ ही जिले की गन्ना समितियों से जुड़े किसानों को भी डीएपी नहीं मिल रहा है। पिछले करीब एक सप्ताह से इन समितियों के गोदाम खाली पड़े हैं। ऐसे में डीएपी के साथ यूरिया का संकट भी हो सकता है।
एआर कोऑपरेटिव प्रेमशंकर- ने बताया की जिले की समितियों पर लगातार डीएपी भेजा जा रहा है। बफर गोदाम में स्टॉक अवशेष है। जल्द ही रैक भी हापुड़ पहुंच जाएगी। किसान आवश्यकता अनुसार ही डीएपी के कट्टे लें।