हापुड़ जिले की 13 लाख आबादी में महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं दिलाने का सपना साकार नहीं हो रहा। वर्तमान में हालात ऐसे हैं कि 13 लाख की आबादी वाले इस जिले में स्वास्थ्य विभाग के पास सिर्फ दो स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं, जिला अस्पताल में स्थायी तौर पर कोई महिला विशेषज्ञ नहीं हैं। जिसके कारण खासकर सिजेरियन प्रसव के दौरान गर्भवतियों को परेशान होना पड़ रहा है।
हापुड़ जिला चिकित्सकों की भारी कमी का सामना कर रहा है। जिले की आठ सीएचसी में सिर्फ एक ही स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं, जबकि सात खाली पड़ी हैं। हापुड़ सीएचसी में भी एक स्त्री रोग विशेषज्ञ पुरुष चिकित्सक हैं। हापुड़ की सीएमओ रहीं डॉ. रेखा शर्मा जोकि स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं, उनकी सेवानिवृत्ति के बाद जिला अस्पताल में नियुक्ति हुई थी। लेकिन पिछले कुछ दिनों पहले उनका स्थानांतरण हो गया है। अब जिला अस्पताल में एक भी स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं हैं। स्टाफ नर्सों को ही प्रसव कराने पड़ते हैं, कई बार गर्भवतियों का सिजेरियन प्रसव करना पड़ता है।
इस दशा में स्त्री रोग विशेषज्ञ की कमी से जूझ रहे अस्पतालों में या तो मरीज को रेफर करना विकल्प है या फिर बाहर से स्त्रीरोग विशेषज्ञ को बुलाना। अगर चिकित्सक नहीं आते हैं तो फिर निजी अस्पताल जाना पड़ता है। इससे मरीजों के साथ तीमारदारों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
कुल मिलाकर जिले के सरकारी अस्पतालों में स्टाफ और संसाधनों की कमी व्यवस्था पर भारी पड़ रहे हैं। कई अन्य विशेषज्ञ चिकित्सक भी अस्पताल में नहीं हैं।जो चिकित्सक हैं, वह भी समय पर ओपीडी में नहीं बैठते हैं, जिसके कारण मरीजों को मायूस होकर लौटना पड़ता है।
सीएमओ डॉ. सुनील त्यागी- ने बताया की हापुड़ सीएचसी में स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं, जहां गर्भवतियों के सामान्य और सिजेरियन प्रसव कराए जा रहे हैं। कुछ अस्पतालों में स्टाफ की कमी है, जिसे पूरा कराने का प्रयास है।