जनपद हापुड़ में अस्पतालों की भरमार है। लेकिन इन अस्पताल में आग के कोई इंतजाम नहीं हैं। इन अस्पतालों को स्वास्थ्य विभाग व फायर अफसरों का पूरा संरक्षण मिला है। जिले में मात्र 8 ही अस्पतालों पर फायर विभाग की एनओसी है।
हापुड़ में लगभग 200 अस्पताल व क्लीनिक संचालित हैं। जिनमें लगभग 35 अस्पताल सरकारी हैं। अस्पताल में आग लगने के दौरान मौत के बाद भी अगर हापुड़ में पुलिस प्रशासन सचेत नहीं हुआ तो ऐसी घटना हापुड़ में भी घट सकती है।
यहां बड़े-बड़े अस्पताल तो बना दिए गए हैं, लेकिन फायर सर्विस के मानकों पर मात्र 8 ही अस्पताल खरा उतरते हैं। जबकि एक ही सरकारी अस्पताल पर फायर की एनओसी है। शहर व अन्य देहात के दो दर्जन से अधिक अस्पताल ने निर्माण के बाद इस बाबत कोई संज्ञान नहीं लिया है।
न तो फायर ब्रिगेड से एनओसी ली गई। इससे साफ है कि किसी के पास आग लगने पर उससे बचाव के इंतजाम नहीं हैं। अफसरों द्वारा छानबीन में शहर के अस्पतालों में भी आग से बचाव के इंतजाम नहीं मिलते हैं।
हालांकि खानापूर्ति के नाम पर नोटिस जरुर भेजे जाते हैं। निरीक्षण में जरूरी फायर ब्रिगेड के उपकरण, बालू आदि भी नहीं मिलते हैं। हैरत की बात यह है कि ऐसी स्थिति में जिम्मेदार फायर ब्रिगेड कार्यवाही करने में लाचारी जता रहा है। सरकारी अस्पतालों में भी आग के संसाधन नाकाफी हैं।
सीएफओ मनु शर्मा का कहना है कि आग से बचाव को लेकर अस्पताल व अन्य सार्वजनिक स्थानों पर चैकिंग अभियान चलाया जाता है। संसाधन व एनओसी नहीं मिलने पर नोटिस भी दिए जाते हैं। जल्द ही ऐसे अस्पतालों को चिन्हित कर कार्यवाही की जाएगी।
सीएमओ डा.सुनील त्यागी ने कहा कि जहां जहां फायर के अनुरुप मानक पूरे नहीं हैं। उन्हें पूरा कराया जाएगा। साथ ही सरकारी अस्पताल की जांच कर नियम अनुसार व्यवस्था बनाई जाएगी।