जनपद हापुड़ में जिले को निराश्रित पशुओं से मुक्त करने का सपना अधूरा रह गया है, अभियान के दौरान 15 दिन में केवल 447 पशु पकड़े गए है। सड़क व खेतों में अभी भी 500 से ज्यादा निराश्रित पशुओं का आतंक मचा हुआ है।
जिले में शासन के आदेश पर 15 दिन तक चले अभियान में पशुपालन विभाग सिर्फ 447 पशुओं का संरक्षण कराया पाया है, 500 से अधिक अभी भी शहर की सड़कों से गांवों में जंगलों में आतंक मचा रहे हैं। जिले में संचालित सभी 38 गोशालाएं भर चुकी हैं, क्षमता से डेढ़ गुना पशुओं को इनमें रखा गया है। चारा संकट गहरा रहा है, क्योंकि प्रति पशु मिलने वाले खर्च से उनका पेट भरना मुश्किल है।
सात बड़ी गोशालाओं में छमता से डेढ़ गुना तक गोवंश संरछित किये गए है। गोवंशों के संरक्षण को लेकर कान्हा, गोकुल समेत कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। पशुपालकों पर सख्ती के लिए गोवंशों के कान में कार्ड भी लगवाया, ताकि पशु छोड़े जाने पर उसके मालिक का कार्ड के जरिए पता किया जा सके। लेकिन इसका भी कोई लाभ नहीं हुआ, पशुपालक गोवंश को जब तक ही अपने पास रखते हैं जब तक वह दूध देती है, इसके बाद छोड़ देते हैं।
आलम यह है कि जिले का ऐसा कोई गांव नहीं है जहां निराश्रित पशुओं का आतंक न हो। अब शहर की सड़कों पर भी बड़ी संख्या में पशु देखे जा सकते हैं। सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 31 मार्च तक जिले को निराश्रित पशु मुक्त घोषित करने का आदेश दिया था। 15 दिन तक हर जगह खूब मेहनत की गई, लेकिन नतीजा संतोषजनक नहीं रहा। सड़कों से लेकर खेतों तक निराश्रित पशुओं का आतंक बढ़ रहा है।
पशुपालन विभाग ने डेढ़ साल पहले सर्वे कराया था, इसमें 4091 पशु निराश्रित थे। 15 दिन तक चले अभियान में गोशालाओं के अंदर संरिक्षत कुल पशुओं की संख्या देखी जाए तो सिर्फ 4091 ही है, ऐसे में डेढ़ साल में छोड़े गए अन्य पशुओं को पकड़ने पर कोई कार्य नहीं किया गया।
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ.प्रमोद कुमार- का कहना है की जिले की गोशालाओं में क्षमता से अधिक गोवंश संरक्षित किए गए हैं। 15 दिन के अभियान में 447 पशुओं को पकड़कर गोशाला भिजवाया है, आगे भी संरक्षण का कार्य जारी रहेगा।