मौसमी फसलें डूबीं, पशु चारे में संक्रमण का खतरा, ग्रामीणों में चिंता
ब्रजघाट (हापुड़)। उत्तराखंड के पहाड़ों पर लगातार झमाझम बारिश और बिजनौर बैराज से छोड़े गए पानी के चलते गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। इससे खादर क्षेत्र के गांवों में रहने वाले हजारों परिवारों में बेचैनी बढ़ गई है। खासतौर पर निचले इलाकों की फसलें और पशु चारा जलभराव के कारण बर्बाद हो रहे हैं।
🌊 जलस्तर 197.96 मीटर पर पहुँचा
केंद्रीय जल आयोग के गेज अधिकारी आबाद आलम ने बताया कि गंगा का जलस्तर बढ़कर समुद्रतल से 197.96 मीटर पर पहुंच गया है। अनुमान है कि सोमवार सुबह तक जलस्तर और अधिक बढ़ सकता है, जिससे स्थिति और गंभीर हो सकती है।
🌽 फसल और चारे को नुकसान
नयागांव इनायतपुर के प्रधान सुशील राणा ने बताया कि जलस्तर में वृद्धि के कारण निचले जंगल क्षेत्रों में उगाई गई मौसमी फल-सब्जियां और हरा चारा पूरी तरह डूबने की कगार पर हैं। इससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
पूर्व प्रधान बबलू राणा का कहना है कि पानी भरने से चारा संक्रमित हो गया है, जिसे खाने से पशुओं में बीमारी फैलने की आशंका है। साथ ही, मक्खी-मच्छरों का प्रकोप भी तेजी से बढ़ रहा है, जिससे संक्रामक बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है।
🛑 प्रशासन की सतर्कता जरूरी
बाढ़ नियंत्रण आयोग, मेरठ कार्यालय के अनुसार शनिवार के बाद रविवार को भी 30 हजार क्यूसिक से अधिक पानी गंगा में छोड़ा गया, जिसका असर ब्रजघाट से गढ़ क्षेत्र तक पड़ना तय है। ऐसे में खादर क्षेत्र में जलभराव और बाढ़ का खतरा लगातार बढ़ रहा है।
📌 ग्रामीणों की मांग:
ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की है कि खादर क्षेत्र में निगरानी बढ़ाई जाए, संभावित बाढ़ को देखते हुए राहत चौकियां स्थापित की जाएं और पशुओं के लिए सुरक्षित चारे की व्यवस्था की जाए।