हापुड़। फास्ट फूड और असंतुलित खानपान के चलते लिवर संबंधी रोगों का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। बिगड़ती दैनिक दिनचर्या लिवर (जिगर) को बीमार कर रही है। ओपीडी में पेट संबंधी समस्या लेकर आने वाले हर तीसरे मरीज के लिवर के एंजाइम बिगड़े आ रहे हैं, जबकि 20 फीसदी से अधिक का लिवर फैटी (वसायुक्त जिगर) मिल रहा है। शराब, हेपेटाइटिस भी बड़ा कारण है। हापुड़ के कई मरीजों को निजी अस्पतालों से ट्रांसप्लांट के लिए हायर सेंटर भी रेफर किया गया है।
लिवर शरीर का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है जो मेटाबोलिज्म को ठीक रखने व कई अन्य कार्यों में अहम भूमिका निभाता है। खराब जीवनशैली और अनियमित खानपान के कारण युवाओं में फैटी लिवर (Fatty Liver) की समस्या तेजी से बढ़ रही है। संतुलित और पौष्टिक भोजन ही लिवर को स्वस्थ रखने का उपाय है।
जिले में सबसे ज्यादा लिवर रोगी काली नदी, छोईया किनारे के गांवों में हैं। इन गांवों के सैकड़ों मरीज हेपेटाइटिस बी और सी से पीड़ित हैं, जिसका खुलासा विभाग की जांच रिपोर्ट में हुआ है। सीएचसी के फिजिशियन डॉ. अशरफ अली ने बताया कि हेपेटाइटिस सी अधिक खतरनाक है, जो धीरे धीरे लिवर को डैमेज कर देता है।
दस से 15 साल बाद ऐसे मरीजों में लिवर का कैंसर देखा गया है, हापुड़ में ऐसे पांच से अधिक मामले सामने आए हैं। कुछ सालों पहले तक फैटी लिवर की बीमारी मुख्य रूप से वृद्धों को प्रभावित करती थी, लेकिन अब यह 20 और 30 की उम्र के युवाओं को भी प्रभावित कर रही है। लिवर-किडनी सहित कई बीमारियों के लिए भी इसे एक कारण माना जा सकता है।
घातक है फैटी लिवर जिला अस्पताल के फिजिशियन डॉ. प्रदीप मित्तल कहते हैं युवाओं में फैटी लिवर की दिक्कत तेजी से बढ़ती जा रही है। फैटी लिवर (हेपेटिक स्टीटोसिस) होने पर लिवर की कोशिकाओं में अतिरिक्त फैट जमा हो जाता है। सही इलाज न मिलने पर वह बीमारी फाइब्रोसिस, सिरोसिस और यहां तक कि लिवर कैंसर का रूप ले लेती है। इसके गंभीर मामलों में लिवर सामान्य काम करना बंद कर देता है, जिसके बाद लिवर ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प बचता है।