हापुड़ का मौसम बदलने से रक्तचाप के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। जनरल ओपीडी, जन आरोग्य मेलों में ऐसे मरीज बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। ऐसे मरीजों को ह्दय संबंधी रोग का अधिक खतरा है। फरवरी महीने में भी चिकित्सकों ने करीब 1220 से अधिक मरीजों का इलाज शुरू किया है।
मौसमी विविधताएं रक्तचाप (Blood pressure) को काफी बढ़ा सकती हैं या अचानक गिरावट का कारण बन सकती हैं। जैसे-जैसे तापमान में उतार-चढ़ाव होता है, ब्लड प्रेशर भी बदलता रहता है। फिजिशिन डॉ. अशरफ अली ने बताया कि अस्पतालों में उच्च रक्तचाप के मरीज अधिक हैं, जिनमें ज्यादातर लोग दवा के सहारे ही खुद को स्वस्थ रख रहे हैं। एक से दो फीसदी ही आदतों में बदलाव कर स्वस्थ हुए हैं।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार एक माह में रक्तचाप के एक हजार से अधिक मरीज चिह्नित किए गए हैं। उच्च रक्तचाप होने से तमाम तरह की बीमारियां मरीज को अपनी चपेट में ले रही हैं। उन्होंने बताया कि उच्च रक्तचाप बढ़ने से कोशिकाओं पर ज्यादा दबाव पड़ता है, जिससे हृदय की मांसपेशियां भारी हो जाती हैं।
शरीर की जरूरत के हिसाब से रक्त प्रवाह नहीं होने से दिल का दौरा पड़ने का खतरा रहता है। इसके अलावा ब्रेनहैमरेज, लकवा, दौरा पड़ने की समस्या हो जाती है। जिस तरह तापमान बढ़ रहा है, वैसे ही उच्च रक्तचाप वाले मरीजों में शरीर में झनझनाहट, हाथ पैर में चीटी सी चलना जैसी शिकायतें बढ़ी हैं। सिर दर्द और बेचैनी भी हो रही है। ऐसे मरीजों को चिकित्सक नियमित दवा लेने और जीवन शैली में सुधार की सलाह दे रहे हैं।
सीएमओ डॉ. सुनील त्यागी- ने बताया की जिले के अस्पतालों में रक्तचाप संबंधी दवाएं पर्याप्त मात्रा में हैं। उच्च रक्तचाप खराब दिनचर्या की वजह से हो रहा है। उच्च रक्तचाप बढ़ने से स्ट्रोक, दिल का दौरा, आंखों के आगे अंधेरा, गुर्दे की समस्या हो जाती है।