हापुड़ | जिले की चीनी मिलों द्वारा गन्ना भुगतान में हो रही देरी का मामला अब उच्च न्यायालय (हाईकोर्ट) तक पहुंच गया है। किसानों की मांग और प्रशासन की अनदेखी के बीच कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए आईआरपी और जिलाधिकारी (DM) से कानूनी अड़चनों का स्पष्टीकरण मांगा है।
🧾 याचिका में क्या कहा गया?
किसान मजदूर संघर्ष समिति के सचिव मजहर खान द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि:
- जिले की चीनी मिलें हाईकोर्ट के पूर्व आदेशों के बावजूद 14 दिन के भीतर गन्ना मूल्य भुगतान नहीं कर रहीं।
- इसका सीधा असर हजारों किसानों की आजीविका पर पड़ रहा है।
- आदेशों की अनदेखी एक प्रकार से किसानों के साथ आर्थिक अन्याय है।
🏛 कोर्ट का रुख सख्त
हाईकोर्ट ने इस मामले में आईआरपी और हापुड़ के जिलाधिकारी को निर्देश दिया है कि वे:
- गन्ना भुगतान में आ रही कानूनी बाधाओं की पूरी जानकारी कोर्ट को दें।
- आगामी तारीख तक अगर संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं मिला, तो कोर्ट डीएम को व्यक्तिगत रूप से तलब करने पर विचार कर सकता है।
🚜 किसानों का पक्ष
गन्ना किसानों का कहना है कि:
- गन्ना बेचने के महीनों बाद भी भुगतान अटका हुआ है।
- खाद, बीज, मजदूरी जैसे खर्चों के लिए ऋण लेकर काम चलाना पड़ रहा है।
- सरकार से मांग है कि सभी मिलों को समयसीमा में भुगतान के लिए बाध्य किया जाए।
📌 पृष्ठभूमि:
- चीनी मिलों को 14 दिन के अंदर भुगतान करना अनिवार्य है, जैसा कि कोर्ट और सरकार के नियमों में स्पष्ट है।
- बावजूद इसके, कई चीनी मिलें भुगतान को लंबा खींच रही हैं, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति और भी खराब हो रही है।