जनपद हापुड़ गढ़मुक्तेश्वर के लठीरा गुरु विश्राम आश्रम में 400 वृद्धजन श्राद्ध पक्ष में श्राद्ध करने वालों को शर्मसार कर रहे है। धनवान और ओहदेदार बेटे अपने वृद्ध मां बाप को बेसहारा वृद्ध आश्रम में रहने के लिए किसी चौराहे पर छोड़ गये थे।
जिनका वृद्धआश्रम संचालक जीने का सहारा बने और वृद्ध आश्रम में सब मिलकर एक परिवार की तरह रह रहे। वही वृद्धजनों के दिवंगत होने पर उनके बेटे-पौते श्राद्ध करेंगे।
जैसे जैसे समय बदल रहा है वैसे ही संस्कार भी बदल रहे है। समाज में काफी बदलाव आने पर अब वृद्ध मां बाप को बेटा और पुत्रवधू बर्दास्त नहीं कर रहे है।
लठीरा गुरु विश्राम वृद्धआश्रम के प्रबंधक नावेद चौधरी ने बताया कि एक दशक पहले दिल्ली में चौराहों पर घायल वृद्ध जन मिले थे तो संस्थापक गुरु विश्राम और डॉ जेपी भगत ने घायल वृद्धजनों को उपचार कराया और सहारा बने। आज जठीरा वृद्धआश्रम में 400 वृद्धजन अपने बेटे, पोती-पौतों को शर्मसार कर रहे है।
लठीरा गुरु विश्राम आश्रम में वृद्धजनों की चिकित्सीय सुविधा के लिए देश विदेश से लाये गये आधुनिक उपकरण है। वृद्धजनों को एक परिवार की तरह रखा जाता है तो बुर्जुग महिला व व्यक्ति खुश है। लठीरा वृद्ध आश्रम में धनवान परिवार से ताल्लुक रखते है।