जनपद हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर में पिछले कई दिनों से निरंतर गर्मी बढ़ने से, इंसान ही नहीं पशु-पक्षी भी परेशान होने लगे हैं। आसमान से बरसती आग से पशुधन झुलस गया है। गर्मी की मार से पशु बेहाल हैं। तभी तो भीषण गर्मी में दुधारू पशुओं ने दूध देना कम कर दिया है। पशुपालक चितित हैं। दूध की गिरावट की मार सबसे अधिक उन गरीब पशुपालकों पर पड़ रही है।
गर्मी बढ़ने से सबसे अधिक परेशानी दुधारू पशुओं के साथ हो रही है। तापमान बढ़ने के साथ ही पशुओं में बेचैनी बढ़ जाती है। इससे दूध देने की क्षमता में कमी हो जाती है। सही तरीके से ध्यान नहीं देने पर उत्पादन तो कम होगा ही, साथ ही पशुओं के बीमार होने का भी अंदेशा बना रहेगा। गर्मी बढ़ने से दुधारू पशुओं में बीस से तीस फीसद दूध में कमी हो गई है।
पौष्टिक आहार और पानी के साथ यूरिया उपचारित भूसा देकर दूध उत्पादन समान बनाए रखा जा सकता है। इस समय दिन का तापमान न्यूनतम तापमान 29 डिग्री सेल्सियस तो अधिकतम 40 का आंकड़ा पार कर रहा है। गर्मी में दुधारू पशुओं को तेज धूप से बचाना चाहिए।
उनके लिए 30 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान ही उपयुक्त होता है। गर्मियों में मेटाबालिज्म बढ़ जाता है। तापमान बढ़ने से ऊर्जा का भी ह्रास होने लगता है। दूध का उत्पादन जानवर की ऊर्जा बचाने पर निर्भर करता है। जितनी ऊर्जा बचाएंगे, उतनी ही उत्पादन क्षमता बढ़ेगी।
दुधारू पशुओं को नमक चीनी का घोल पिलाएं। पशुओं को हवादार और छायादार स्थान पर रखें। दिन में कम से कम चार बार पशुओं को नहलाएं आंकड़े की नजर से।
सीवीओ डाक्टर प्रमोद कुमार- ने बताया की गर्मी में डिहाइडेशन से मैग्नीशियम, पोटेशियम, कैल्शियम, सोडियम व फास्फोरस की मात्रा कम हो जाती है। इनकी पूर्ति के लिए नमक और मिनरल का मिश्रण देना चाहिए। उन्होंने बताया कि इस दौरान डिहाइड्रेशन के शिकार पशु भी मिल रहे है। किसानों को इसके लिए जागरूक किया जा रहा है।