हापुड़ में प्रदेश सरकार के आदेश पर भले ही छुट्टा पशुओं से राहत दिलाने के लिए जिले में जगह-जगह गोशालों का निर्माण कराया गया है, लेकिन जमीनी हकीकत की तस्वीर भयावह है।
छुट्टा और आवारा पशु बहुत समय से गांवों व शहरी लोगों के लिए मुसीबत का सबब बने हुए हैं। छुट्टा जानवरों की समस्या किसी एक इलाके की नहीं है। आवारा और छुट्टा जानवरों की समस्या फसलों की तबाही का सबब बन गई। गोशालाओं में हजारों गोवंशों के संरक्षित रहने के बावजूद जिले में सड़कों और खेतों में इनकी तादाद कम होने का नाम नहीं ले रही है। खेत में ये पशु किसानों की फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं तो सड़कों पर भी हादसों में मौत का कारण बन रहे हैं। लोगों में इस स्थिति को लेकर आक्रोष है और अधिकारी मामले की गंभीरता से मुंह मोड़े बैठे हैं।
जिले में 43 गोशालाएं हैं और उनमें करीब 8400 पशु सरंक्षित हैं। वर्तमान में विभाग की ओर से जिले में छुट्टा पशुओं को पकड़ने का अभियान चलाया जा रहा है, जो 16 जनवरी तक चलेगा। विभाग का दावा है कि जिले में एक हजार और छुट्टा पशु पकड़कर गोशालाओं में भिजवाए गए। अभियान चलाकर गोशालाओं का भी निर्माण कराये जाने का भी प्रस्ताव है।
सीडीओ अभिषेक कुमार वर्मा- ने बताया की छुट्टा पशुओं को पकड़कर गोशालाओं में संरक्षित करने के लिए अभियान जारी है। नवंबर माह से अभी तक करीब एक हजार पशुओं को पकड़ा जा चुका है। लोगों को इस समस्या से निजात दिलाने का प्रयास किया जार रहा है।