हापुड़ में सभासदों द्वारा दी गई भूख हड़ताल की चेतावनी और आए दिन हो रही शिकायतों के बाद पालिका अधिकारियों ने साख बचाने के लिए जबरदस्ती ठेकेदार को बंदर पकड़ने का टेंडर थमा दिया, लेकिन डेढ़ माह बीतने के बाद भी शहर में एक भी बंदर नहीं पकड़ा जा सका है।
अब ठेकेदार ने काम करने से ही इंकार कर दिया है। क्योंकि ठेकेदार का चार साल पुराना भुगतान अटका हुआ है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले वर्ष आठ हजार से ज्यादा लोगों को बंदरों ने अपना शिकार बनाया था।
शहर में बंदरों के आतंक से क्षेत्रवासी इन दिनों काफी परेशान हैं। शहर में बंदरों का आतंक बढ़ रहा है। आए दिन 10 से 20 लोगों को बंदर अपना शिकार बना रहे हैं। लोगों को आर्थिक, मानसिक और शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचा रहे हैं। पैदल रास्तों पर चलना भी खतरे से खाली नहीं है। पिछले चार वर्ष से लगातार हो रही शिकायतों के बाद भी नगर पालिका के अधिकारी लापरवाही बरत रहे हैं। पुराने अधिकारियों की एक लापरवाही के कारण ठेकेदार का करीब चार लाख रुपये का भुगतान अटका हुआ है।
पालिका सूत्रों के अनुसार, पुराने दस्तावेजों में कमी के कारण वर्तमान अधिकार भुगतान करने से बच रहे हैं। ऐसे में अब ठेकेदार ने भी काम करने से मना कर दिया है। वहीं, पालिका अधिकारी टेंडर होने के बाद अपनी पीठ थपथपा रहे थे। शहरवासियों को भी बंदर पकड़ने की उम्मीद जगी थी। लेकिन शहर में बंदरों का आतंक जारी है।
नगर पालिका ईओ मनोज कुमार- ने बताया की ठेकेदार से मेरी वार्ता हुई है। ठेकेदार ने जल्द अभियान शुरू करने का वादा किया है। ठेकेदार के पुराने मामले का निस्तारण कराया जा रहा है।