सर्वे के दौरान 1800 से ज्यादा मरीजों में हुई टीबी की पुष्टि
जनपद हापुड़ में टीबी (ट्यूबरक्लोसिस) अब दिमाग और रीढ़ की हड्डी में पैठ बना रहा है, हर महीने ऐसे आठ से दस मरीज सामने आ रहे हैं। इस साल सर्वे के दौरान 1800 से ज्यादा मरीजों में टीबी की पुष्टि हुई है।
सीएचसी के चिकित्सक डॉ. अशरफ अली ने बताया कि फेफड़ों की टीबी के मरीज तो रोजाना सामने आते हैं। लेकिन इन दिनों टीबी दिमाग और रीढ़ की हड्डी तक पहुंचने लगा है, जो मरीज इलाज में लापरवाही करते हैं उनमें इस तरह का टीबी अधिक देखने को मिला है।
टीबी से कई मरीजों के रीढ़ की हड्डियां तक गली मिली हैं, समय से उपचार पर ऐसे मरीज ठीक हो जाते हैं, लेकिन लापरवाही पर जान जाने का जोखिम होता है।
उन्होंने बताया कि लंबे समय तक सिर में दर्द की शिकायत वाले मरीजों के दिमाग में टीबी मिला है। सीटी स्कैन की जांच में इसकी पुष्टि हुई है। ऐसे मरीजों का वजन तेजी से गिरता है और रात के समय बुखार भी आता है।
पेट की टीबी में मरीज को सामान्य रूप से होने वाली पेट की समस्याएं होती हैं, जैसे बार बार दस्त लगना, पेट में दर्द होना आदि, लेकिन जब तक मरीज को टीबी के बारे में पता चलता है तब तक पेट में गांठ पड़ जाती हैं।
हड्डी की टीबी में हड्डियों में घाव हो जाते हैं और इलाज के बाद भी आसानी से ठीक नहीं होते हैं। शरीर में जगह जगह फोड़े फुंसी होना भी हड्डी क्षय रोग के लक्षण हैं, अगर कोई मरीज पीठ दर्द या अन्य जोड़ों के दर्द से परेशान है तो इसे नजर अंदाज नहीं करना चाहिए।
जिला क्षय रोग अधिकारी- राजेश सिंह ने बताया कि जिले में चिंहित टीबी के मरीजों को उपचार दिलाया जा रहा है। एमडीआर और एक्सडीआर श्रेणी में पहुंच चुके मरीज भी ठीक हो रहे हैं। लक्षण होने पर मरीज अपनी जांच अवश्य करा लें। जिससे सही समय पर इलाज किया जा सके।