हापुड़ में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने शुक्रवार को रोडवेज बस स्टैंड में शिविर लगाया, जिसमे 65 रोडवेज कर्मचारियों की जांच हुई। इसमें डिपो के 15 कर्मचारियों में टीबी जैसे लक्षण मिले, इनके सैंपल जुटाकर परीक्षण के लिए प्रयोगशाला भेज दिए गए हैं।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. राजेश सिंह ने बताया कि पल्मोनरी टीबी (फेफड़ों की टीबी) और एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी, फेफड़ों के अलावा शरीर के अन्य अंगों में होने वाली टीबी है। केवल पल्मोनरी टीबी संक्रामक होती है, यह सांस के जरिए फैलती है। दो सप्ताह से अधिक खांसी या बुखार होना, खांसी के साथ बलगम या खून आना, रात में सोते समय पसीना आना, भूख कम लगना, वजन कम होना और सीने में दर्द रहना टीबी के लक्षण हो सकते हैं। इनमें से कोई भी लक्षण आने पर टीबी की जांच कराना आवश्यक है।
जांच कराने में देरी से रोगी के निकट संपर्क में रहने वाले भी संक्रमित हो सकते हैं, हालांकि टीबी का उपचार शुरू होने के दो माह बाद इस बात का खतरा नहीं रहता। भारत सरकार ने 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने का संकल्प लिया है और यह हर लक्षण युक्त व्यक्ति की जांच और जांच में टीबी की पुष्टि होने पर उपचार से ही संभव है।
जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी ने बताया कि शिविर में कुल 65 कर्मचारियों की स्क्रीनिंग की गई, टीबी से मिलते-जुलते लक्षण पाए जाने पर जांच के लिए 15 कर्मचारियों का नमूना लिया गया है। स्क्रीनिंग से रह गए कर्मचारियों के लिए शनिवार को भी शिविर का आयोजन किया जाएगा। इसके अलावा शिविर में कर्मचारियों के रक्तचाप और शुगर की भी जांच की गई। कई कर्मचारी इन बीमारियों से भी पीड़ित मिले।
शिविर में सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक रणजीत सिंह, वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक दीपक कुमार और लैब टेक्नीशियन लोकेंद्र सिंह का सहयोग रहा।