सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) पर उपचार के लिए पहुंच रहे मरीजों में रीढ़ की हड्डी में टीबी (ट्यूबरकुलोसिस) के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। मरीजों को कमर दर्द, शाम को बुखार, आंखों की रोशनी कम होना और पैरों की मांसपेशियों में कमजोरी जैसे लक्षण हो रहे हैं। समय पर इलाज न होने पर कई मरीज लकवे का शिकार हो रहे हैं।
सीएचसी के फिजिशियन डॉ. अशरफ अली ने बताया कि अस्पताल में हर दिन तीन से चार मरीज ऐसे आ रहे हैं, जिनमें हड्डियों या शरीर के अन्य हिस्सों में टीबी की पुष्टि हो रही है। उन्होंने बताया कि दो मरीज पहले से किसी अन्य जगह इलाज करा रहे थे, लेकिन जब चलने-फिरने में दिक्कत होने लगी, तब अस्पताल पहुंचे। सीटी स्कैन रिपोर्ट में रीढ़ की टीबी की पुष्टि हुई और अब उनका इलाज शुरू कर दिया गया है।
फेफड़ों, किडनी, गर्दन और सिर में भी हो रही टीबी
डॉ. अली ने बताया कि पहले फेफड़ों की टीबी ही ज्यादा मिलती थी, लेकिन अब गुर्दा, रीढ़, गर्दन और सिर जैसे अंगों में भी टीबी के मामले तेजी से आ रहे हैं। इन मामलों में लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन अधिकांश मरीजों में शाम के समय बुखार आना और नजर कमजोर होना जैसे लक्षण समान पाए जा रहे हैं।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सामान्य बुखार या कमजोरी की दवाओं से टीबी ठीक नहीं होती। समय से इलाज न होने पर मरीजों के शरीर का कमर से नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त हो सकता है।
जनता से अपील की गई है कि अगर किसी को लगातार कमर दर्द, बुखार और कमजोरी महसूस हो रही है, तो वह तुरंत जांच कराएं और डॉक्टर से परामर्श लें।