हापुड़ के खेतों में रसायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग से जिले की मिट्टी की सेहत खराब होती जा रही है। जिले के चारों ब्लॉकों में 40 गांवों से मिट्टी के 4 हजार नमूने एकत्र किए गए हैं, जिनमें 12 मुख्य और सूक्ष्म तत्वों की जांच शुरू की गई है। जांच में जीवाश्म कार्बन, फास्फोरस और जिंक की मात्रा न्यूनतम से भी कम निकल रही है।
खेतो में लगातार बढ़ रहे रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशक के प्रयोग से न केवल जमीन की गुणवत्ता घट रही है, बल्कि इसके दुष्प्रभावों ने मानव जीवन से लेकर पशु,पक्षी, जलस्रोत सहित समूचा पर्यावरणीय चक्र असुरक्षित होता जा रहा है।
फसलों में रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से पोषक तत्व खत्म होते जा रहे हैं। किसान मित्र कहे जाने वाले केंचुए भी भूमि को ऊसर नहीं बना पा रहे। इस संकट को दूर करने के लिए हापुड़ के चारों ब्लॉकों से क्लस्टर बनाकर मृदा के नमूने जुटाए गए थे। 40 गांवों से कुल 4 हजार मिट्टी के नमूने लिए गए। 12 पैरामीटर पर इनका सत्यापन शुरू कर दिया गया है। इसमें 6 मुख्य तत्व और 6 सूक्ष्म तत्व शामिल हैं। अभी तक 1600 नमूनों में मुख्य तत्व और 700 नमूनों में सूक्ष्म तत्वों की जांच की गई है। मृदा हेल्थ कार्ड फिलहाल नहीं बने हैं, लेकिन पिछले रिकॉर्ड को देखें तो इनमें मुख्य और पोषक तत्वों की भारी कमी पाई गई है।
कृषि विभाग के अधिकारियों ने इस बार मृदा कार्ड पर हर तत्व की मौजूदगी दर्ज कराने का निर्णय लिया है। साथ ही कार्ड में यह भी बताया जाएगा कि किसान को कितनी मात्रा में कौन सा उर्वरक प्रयोग करना चाहिए।
एसटीए विमलेश- ने बताया की 40 गांवों से मिट्टी के चार हजार नमूने जुटाए गए हैं, प्रयोगशाला में इनकी जांच शुरू करा दी गई है। किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए जाएंगे, जिनके आधार पर किसान फसलों में आवश्यक उर्वरकों का प्रयोग कर सकेंगे।