हापुड़ जिले में पिछले करीब 20 दिनों से प्रदूषण की स्थिति ठीक नहीं है। दिवाली से पहले ही एक्यूआई 400 तक पहुंच चुका था, हालांकि शुक्रवार रात हुई बारिश के बाद स्थिति में सुधार जरूर हुआ है। दिवाली एक दिन पहले छोटी दिवाली पर भी शहर में जमकर आतिशबाजी हुई। जिले में आतिशबाजी की बिक्री से लेकर छोड़ने तक पर रोक लगाई हुई है। लेकिन आतिशबाजी पर अंकुश लगता दिखाई नहीं दे रहा है।
देश की राजधानी में प्रदूषण का स्तर लगातार खराब स्थिति में चल रहा है। इसे देखते हुए उच्च न्यायालय ने आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके बाद जिलाधिकारी ने भी जिले में पटाखों की बिक्री से लेकर आतिशबाजी करने पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश दे दिए थे। जिसके बाद शौकीन लोगों ने आसपास के जिलों से पटाखे खरीदने के लिए जुगाड़ करने के लिए लग गए थे।
अब पूरी आशंका है कि जिले में ज्यादा नहीं तो आतिशबाजी जरूर होगी। पटाखों पर पाबंदी लगने के बाद भी आतिशबाजी पर रोक नहीं लग रही है। यदि ऐसी स्थिति रही तो प्रदूषण का स्तर लाल श्रेणी में जा पहुंचेगी। जो सांस और हृदय के मरीजों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. जीवोत्तम नारंग ने बताया कि वायु प्रदूषण से होने वाली मौत में से 60 फीसदी दिल की बीमारी से होती है। पीएम 2.5 आकार के सूक्ष्म कण फेफड़ों के रास्ते कई बार दिल की धमनियों तक पहुंचकर अटैक का कारण बनते हैं। प्रदूषण से रक्तचाप भी बढ़ता है।
एडीएम संदीप कुमार- ने बताया की लगातार पटाखा बेचने वालों के खिलाफ कार्यवाही हो रही है। आतिशबाजी न हो सके इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। लगातार टीमें गश्त कर रही हैं। पुलिस को भी इसके लिए निर्देशित किए जा रहे है।