जनपद हापुड़ में प्रदूषण को लेकर सरकारी तंत्र गंभीर दिखाई नहीं दे रहा है। ग्रेप जरूर लागू है, लेकिन इसकी पाबंदियों का असर क्षेत्र में दिखाई नहीं दे रहा है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बहुत खराब श्रेणी में दर्ज किया गया। प्रदूषण से बचाव के इंतजाम नाकाफी हैं।
सुबह से ही लोगों की आंखों में जलन के साथ बुजुर्गों को खासी दिक्कत हो रही है। सांस रोगियों की सांसें उखड़नी शुरू हो गई हैं। आने वाले दिनों में विशेषज्ञ और बुरी स्थिति होने की आशंका जाहिर कर रहे हैं। लगातार प्रदूषण का स्तर बढ़ने से लोग हलकान हैं। सुबह की सैर पर प्रदूषण का गहरा असर पड़ा है। पार्कों में लोगों की संख्या कम हो गई है।
बुधवार को जिले में प्रदूषण की स्थिति काफी खराब रही। वायु गुणवत्ता सूचकांक 275 तक पहुंच गया, जो अभी तक का सबसे अधिक है। उम्मीद की जा रही थी दिवाली तक मौसम साफ बना रहेगा। लेकिन अब हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। दिवाली से पहले वातावरण में छायी धुंध को देखते हुए इस बार दीपावली के बाद शहर के हालात काफी गंभीर हो सकते हैं। आतिशबाजी हुई तो प्रदूषण कई गुना तक बढ़ जाएगा। ऐसे में हालात सुधरने में कई दिन तक लग सकते हैं।
डॉ. पराग शर्मा कहते हैं कि प्रदूषण से रक्तचाप भी बढ़ता है। गहरी धुंध से धूप से मिलने वाली विटामिन-डी नहीं मिल पा रही है। जिस कारण हड्डियों में कैल्शियम का अवशोषण नहीं हो पाता है। 70 फीसदी लोगों की हड्डियां कमजोर मिलती है।
विशेषज्ञ डॉ. तुषार त्यागी ने बताया कि ओपीडी में आने वाले मरीजों में दमा, सांस और टीबी के मरीज रहे। इन्होंने सीने में जकडऩ, रात भर घर्र- घर होना, बेचैनी, खांसी बताई । दमा-सांस और टीबी के मरीजों में धूल-धुएं से सांस नली में सूजन, फेफड़ों में संक्रमण बढ़ा हुआ मिला।