हापुड़ जिले के तीनों डिवीजन में 3.10 लाख घरों पर स्मार्ट मीटर लगाने की योजना थी, लेकिन आवासीय क्षेत्रों में स्मार्ट मीटर लगाने का काम रोक दिया गया है। तमाम उपभोक्ताओं में भ्रम है कि ये मीटर तेज गति से चलते हैं। साथ ही जिन आवास पर मीटर लगे हैं उनके बिल अभी तक नहीं बन सके हैं। उपभोक्ताओं की शिकायत मिलने पर अधिकारियों ने सरकारी विभागों पर मीटर लगाने शुरू कर दिए हैं। स्मार्ट मीटर के साथ डिजिटल मीटर भी लगाए जा रहे हैं, जिनसे रीडिंग का मिलान कर भ्रम दूर किया जाएगा।
विद्युत व्यवस्था में सुधार पर ऊर्जा निगम करोड़ों रुपये खर्च कर रहा है। लेकिन बिलों की लंबी देनदारी और बिजली की चोरी ऊर्जीकरण की योजनाओं में बाधा बन रही है, साथ ही निगम को राजस्व का नुकसान पहुंचा रही है। इस समस्या से उबरने के लिए जिले में स्मार्ट मीटर लगाने की योजना लागू की गई थी।
हापुड़, गढ़ और पिलखुवा डिवीजन की पॉश कॉलोनियों से स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया शुरू की गई। 4878 घरों में मीटर लगा भी दिए गए। लेकिन जिन घरों पर मीटर लगे, या तो वह इंस्टॉल नहीं हो सके या फिर एडवाइज होने के बावजूद बिल नहीं बना सके। इस तरह की शिकायतें अफसरों तक पहुंची। उपभोक्ताओं का यह भी कहना था कि स्मार्ट मीटर तेज गति से चलते हैं।
इस तरह के भ्रम को दूर करने के लिए ऊर्जा निगम के अधिकारियों ने अब सरकारी विभागों में सबसे पहले स्मार्ट मीटर लगाने की योजना बनाई है। विकास भवन, बीएसए कार्यालय, स्वास्थ्य विभाग समेत कई सरकारी विभागों में मीटर लगा भी दिए गए हैं। बिजली खपत की जांच के लिए स्मार्ट मीटर के साथ डिजिटल मीटर भी लगाए जा रहे हैं, ताकि उपभोक्ताओं का भ्रम दूर हो सके।
स्मार्ट मीटर से उपभोक्ताओं को बिजली तीन विकल्प के साथ मिलेगी। इसमें पोस्ट पेड, प्री पेड और नेट मीटरिंग का विकल्प होगा। शुरुआत में पोस्ट पेड व्यवस्था रहेगी, अर्थात उपभोक्ता बिल मिलने पर भुगतान करेंगे। पूरे जिले में स्मार्ट मीटर लग जाने पर इन्हें प्री पेड में बदल दिया जाएगा। इसमें पहले भुगतान करना होगा, उसके बिल बिजली की सप्लाई मिलेगी।
अधिशासी अभियंता मीटर राजवीर सिंह- ने बताया की जिले के समस्त सरकारी विभाग, सरकारी अस्पताल, स्कूलों में स्मार्ट मीटर पहले लगाए जाएंगे। आवासीय क्षेत्रों में अभी तक 4878 मीटर लगाने के बाद कार्य फिलहाल रोक दिया गया है।