हापुड़ में परिषदीय स्कूलों में छह निलंबित शिक्षकों को दूसरे स्कूलों में नियुक्ति मिली है। अधिकारी पोर्टल के जरिए ही स्कूल आवंटित होने का दावा कर रहे हैं, लेकिन शिक्षकों को ऐसे स्कूल मिले हैं जिनमें पहले से ही छात्रों के सापेक्ष शिक्षकों की कोई कमी नहीं है।
कुछ साल पहले शिक्षकों को एक स्कूल में निलंबित कर दूसरे स्कूल में बहाल कर देने का बड़ा खेल होता था। शासन ने इस पर रोक लगाते हुए कुछ सख्त कानून बनाए। वैसे तो अधिकांश फैसले शासन ने अपने ही हाथ में रखें हैं, फिर भी कुछ नियमों को तोड़ मरोड़ कर निलंबन, बहाली जरूर चल रही है। डोमा टीकरी के एक स्कूल में शिक्षक को सेहल गढ़ में बहाल कर दिया। फिर से दोष सिद्ध कर हसनपुर धौलाना में भेज दिया गया जबकि सेहल एकल विद्यालय था। हसनपुर में कई शिक्षक तैनात हैं।
शिक्षक संघ का आरोप है कि यह बहाली ऑनलाइन न करके ऑफलाइन की गई। धौलाना के ही दहीरपुर में शिक्षक का उन्हीं के विद्यालय में एक वर्ष बाद तत्कालीन बीएसए द्वारा बहाली की गई थी। लेकिन फिर से उनकी ऑनलाइन पोर्टल पर बहाली लंबित दिखा कर गांव देहरा के विद्यालय में बहाल कर दिया गया। शिवगढ़ी से निलंबित एक शिक्षिका को नान के प्राथमिक विद्यालय और दूसरी शिक्षिका को हाफिजपुर के स्कूल, शिवगढ़ी के ही स्कूल से शिक्षिका को निलंबित कर वझीलपुर में बहाल कर दिया गया। जबकि इन विद्यालयों में छात्र संख्या के आधार पर शिक्षकों की कमी नहीं है। इसके अलावा कन्नौर के स्कूल से निलंबित शिक्षिका को दहीरपुर के स्कूल में बहाल कर दिया गया।
हालांकि अधिकारियों का कहना है कि पोर्टल के जरिए ही शिक्षकों को स्कूल आवंटित होते हैं, इसमें जिला स्तर पर किसी के हाथ कुछ नहीं है। लेकिन शासन का स्पष्ट आदेश यह भी है कि ऐसे शिक्षकों की बहाली शून्य, एकल स्कूलों में प्राथमिकता के साथ हो।
कार्यवाहक बीएसए मनोज गुप्ता- ने बताया की बीएसए अपने स्तर से निलंबन और जांच उपरांत बहाल करते हैं। स्कूल का आवंटन पोर्टल के जरिए होता है, जो लखनऊ से चलता है। इसमें किसी तरह की अनियमितता नहीं हुई है।