जनपद में हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है. कहते हैं कि श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। लेकिन इस साल रक्षाबंधन की तरह जन्माष्टमी की तिथि को लेकर भी लोगों में बड़ा कन्फ्यूजन है। कोई 6 सितंबर तो कोई 7 सितंबर को जन्माष्टमी का त्योहार बता रहा है।
भारतीय ज्योतिष कर्मकांड महासभा द्वारा जन्माष्टमी के संबंध में सोमवार को आर्य नगर स्थित माहेश्वरी मंदिर में बैठक का आयोजन किया गया। इसमें छह सितंबर को जन्माष्टमी व्रत व सात सितंबर को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाने का निर्णय लिया गया।
महासभा के अध्यक्ष केसी पांडेय व संतोष तिवारी ने कहा कि श्रीमद्भागवत, धर्म सिंधु, भविष्यपुराण आदि अनेक धर्म ग्रंथो में लिखे प्रमाण देते हैं कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि रोहिणी नक्षत्रयुक्ता निशीथ (अर्धरात्रि) में हुआ था ।
भगवान श्री कृष्ण के जन्म के समय ऋषिगण व भक्तजन निराहार रहकर उनके प्रकट होने के प्रार्थना में उपासनारत, व्रत में संलग्न थे। जो वर्तमान में जन्माष्टमी व्रत पूजन अर्चन के रूप में प्रसिद्ध हुआ। इस बार व्रत छह सितंबर को करना ही शास्त्र सम्मत श्रेष्ठ शुभ फल देने वाला है। ग्रंथों के मुताबिक ये भगवान कृष्ण का 5250वां जन्म पर्व है।
भगवान का जन्मोत्सव जन्म के अगले दिन गोकुल में नंदबाबा के यहां मनाया गया। इस बार सात सितंबर को नंदोत्सव, प्राकट्य उत्सव के रूप में मनाया जाएगा। इस मौके पर डॉ. वासुदेव शर्मा, कमलेश शर्मा, हरीश शर्मा, अनिशा सोनी पांडेय, मित्र प्रसाद काफ्ले, आदित्य भारद्वाज, आचार्य गौरव कौशिक, जगदंबा शर्मा, अजय शर्मा, माहेश्वरी (कृष्णमंदिर) मंदिर के मुख्य पुजारी नकुल देव मिश्रा मौजूद रहे।