हापुड़ में देवोत्थान एकादशी पर देव जाग गए। इसी के साथ मांगलिक कार्य भी शुरू हो गए। देवोत्थान एकादशी पर जिले में बैंड, बाजा और बरात की धूम रही। सैकड़ों जोड़े वैवाहिक बंधन सूत्र में बंधे। लोग डीजे, शहनाई और बैंड की धुन पर जमकर नाचे। वहीं, वाहनों का दबाव बढ़ने से देर शाम तक सड़कों पर जाम लगा रहा।
जुलाई के तीसरे सप्ताह में भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम के लिए चले गए थे, जिससे मांगलिक कार्यों पर भी विराम लग गया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार देवोत्थान एकादशी पर भगवान योग निद्रा से जागते हैं, जिसके साथ ही विवाह, मुंडन आदि मांगलिक कार्यों की शुरूआत हो जाती है। देवोत्थान एकादशी पर मंगलवार को बाजार से लेकर सड़कों पर भीड़ उमड़ी रही। बाजार में लोगों ने कपड़ों की खरीदारी की तो महिलाएं संजने संवरने के साथ ही खरीदारी करती नजर आई।
नवंबर में आठ और दिसंबर में सात दिन ही विवाह के शुभ मुहूर्त हैं। देवोत्थान एकादशी पर शहर में शहनाई और बैंड बाजे की हर ओर गूंज रही। लोग भांगड़ा, नागिन डांस आदि पर जमकर थिरके, जिससे सड़कों पर जाम भी खूब लगा। देवोत्थान एकादशी पर अबूझ साए के कारण जिले के सभी मैरिज हॉल, मंडप बुक रहे और घोड़ा-बग्गी, डीजे, बैंड संचालकों की भी मौज रही। देर शाम सड़कों पर बैंड, बाजा, बरात की धूम रही।
वहीं, मंगलवार को शहर में सैकड़ों शादियों के कारण देर शाम तक जाम के हालात बने रहे। नगर के तहसील चौराहा, पक्का बाग, अतरपुरा चौपला, मेरठ तिराहा पर वाहनों की लंबी लाइन लगी रही। यातायात पुलिसकर्मी जाम खुलवाने का प्रयास करते रहे। शाम को वाहनों का अधिक दबाव रहा और शादी में शामिल होने जा रहे लोगों में जाम में फंसकर परेशान होना पड़ा।