हापुड़। जिले में किसानों का झुकाव अभी भी दानेदार उर्वरकों की ओर ही बना हुआ है। बीते छह महीनों में किसानों ने करीब 9457 मीट्रिक टन (एमटी) दानेदार उर्वरक फसलों में प्रयोग किया है, जो कि सात मालगाड़ी के बराबर है। इसके विपरीत सरकार और वैज्ञानिकों की सिफारिश के बावजूद तरल (नैनो) उर्वरकों को अपेक्षित प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है।
नैनो यूरिया व डीएपी का कम प्रयोग
नैनो यूरिया और नैनो डीएपी जैसी तरल उर्वरकों की कुल 16,108 बोतलें ही किसानों ने अपनाई हैं। जबकि इस अवधि में 4552 एमटी यूरिया और 4905 एमटी डीएपी (करीब दो लाख कट्टे) खेतों में डाले गए हैं।
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गर्मी में बढ़ी यूरिया की मांग
वर्तमान में गन्ने की फसल के लिए यूरिया की खपत बढ़ गई है। जिले में हर रोज करीब 100 एमटी यूरिया की मांग बन रही है। किसानों के लिए जरूरी उर्वरकों की आपूर्ति बनाए रखने हेतु बफर गोदामों में 3300 एमटी यूरिया, 1800 एमटी डीएपी और एनपीके का स्टॉक उपलब्ध कराया गया है।
वैज्ञानिक कर रहे जागरूक, किसान फिर भी नहीं हो रहे तैयार
कृषि वैज्ञानिकों और अधिकारियों का कहना है कि तरल उर्वरक न सिर्फ पर्यावरण के लिए बेहतर हैं, बल्कि कम मात्रा में अधिक प्रभावी भी होते हैं। बावजूद इसके, किसानों को दानेदार उर्वरक ही ज़्यादा प्रभावी लगते हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र में उर्वरकों की उपयोगिता पर फील्ड ट्रायल चल रहे हैं, जिससे किसानों को धीरे-धीरे तरल उर्वरकों के लाभ समझाने की कोशिश की जा रही है।
अन्य चुनौतियाँ: ऋण और अनुदान में भी समस्या
जिले के 1000 से अधिक किसानों ने केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) के जरिए दो बैंकों से ऋण लिया है। इनमें से करीब 32 लाख रुपये का अनुदान अटका हुआ है, जिसे नाबार्ड द्वारा रोक लिया गया है। इससे किसानों को खाद बीज खरीदने में दिक्कत हो रही है।
सितंबर तक वितरण लक्ष्य
सहकारिता विभाग ने सितंबर 2025 तक 9000 एमटी यूरिया और 3197 एमटी डीएपी किसानों को वितरित करने का लक्ष्य रखा है।
“किसानों को तरल उर्वरकों का लाभ दिखने लगा है, जिससे धीरे-धीरे इनकी मांग बढ़ रही है। कृषि वैज्ञानिकों के ट्रायल और जागरूकता कार्यक्रमों से बदलाव की उम्मीद है।”
— प्रेमशंकर, एआर कॉपरेटिव
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