बेसिक शिक्षा विभाग की लापरवाही एक बार फिर सामने आई है, जहां आरटीई (निःशुल्क शिक्षा अधिकार) के तहत चयनित सात छात्रों को बंद हो चुके विद्यालय में सीटें आवंटित कर दी गईं। इससे इन गरीब बच्चों का कान्वेंट स्कूल में निशुल्क शिक्षा का सपना अधूरा रह गया।
🏫 बंद स्कूल में किया गया आवंटन
बाबूगढ़ स्थित विकास ग्लोबल स्कूल, जिसे एक साल पहले ही बंद किया जा चुका है, उसकी सीटें आरटीई पोर्टल पर अब भी उपलब्ध थीं। इसी आधार पर
- चार चरणों के आवेदन में सात छात्रों को इस विद्यालय में सीटें आवंटित कर दी गईं।
- जब परिजन बच्चों को लेकर एडमिशन के लिए स्कूल पहुंचे, तो पता चला कि स्कूल दो साल पहले बंद हो चुका है
और इसकी मान्यता समाप्त करने की फाइल बीएसए कार्यालय में लंबित है।
🔍 क्या है असली कारण?
यू डायस कोड, जो बाबूगढ़ ब्रांच का था, उसे पोर्टल से हटाया नहीं गया, जिस कारण उसी ब्रांच की सीटें सिस्टम द्वारा आवंटित होती रहीं।
स्कूल संचालक ने सिमरौली स्थित नई ब्रांच में प्रवेश देने से इनकार कर दिया, क्योंकि
- वहां शुल्क प्रतिपूर्ति की शर्तें पूरी नहीं होतीं।
- विभाग की ओर से भी कोई लिखित संतोषजनक निर्देश नहीं मिला।
👨👩👧 अब क्या कर रहे हैं परिजन?
सिस्टम से निराश परिजन बच्चों का दाखिला स्वतः निजी खर्च पर करवा रहे हैं, जबकि उनका चयन आरटीई कोटे में हुआ था। यह पूरे सिस्टम की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है।
🗣️ जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) का बयान:
“पोर्टल से बाबूगढ़ स्थित विकास ग्लोबल स्कूल का नाम हटाया नहीं गया था। आरटीई में इसी वजह से छात्रों को सीटें आवंटित हुईं।
चयनित छात्रों का दूसरे स्कूलों में एडमिशन कराने के लिए पत्राचार किया गया है। जल्द राहत मिलेगी।
— रितु तोमर, बीएसए, हापुड़”
⚠️ प्रमुख लापरवाहियां:
- बंद स्कूल की मान्यता समाप्त फाइल लंबित
- पोर्टल से नाम न हटाया जाना
- बच्चों को अनुचित स्कूल में आवंटन
- विभाग द्वारा समय पर कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं