हापुड़ में 220 करोड़ रुपये के नलकूप बिल घोटाले में अधिकारी सैकड़ों किसानों की रसीदे ही लेजर में चढ़ाना भूल गए। साल 2000 से पहले के दस्तावेजों में ऐसे मामले पकड़ में आ रहे हैं। साथ ही किसानों को उनके बिलों पर लगे व्याज की भी कोई जानकारी नहीं दी गई। पुरानी किताबों पर लिखे हिसाब और लेजर के मिलान में यह धांधली पकड़ में आई है। किसानों को राहत दिलाने का हर संभव प्रयास है।
नलकूप बिल घोटाला की रकम हर तीन साल में दोगुनी हो रही है, जोकि अब तक 1200 करोड़ से अधिक पहुंच गई है। किसानों के लगातार हंगामों में बाद अब उच्चाधिकारियों के आदेश पर किसानों से उनके जमा बिल के साक्ष्य मांगे जा रहे हैं। प्रकरण की उज्यस्तरीय जांच हो रही है। किसानों के रसीद संबंधी दस्तावेज जमा कराए जा रहे हैं। हर रोज बड़ी संख्या में किसान पुरानी रसीदें व पुरानी किताबों पर लगे बिल के हिसाब की छावाप्रति लेकर निगम कार्यालय पहुंच रहे हैं।
किसानों की किताबों का पुराने रिकॉर्ड से मिलान करते ही कई बड़ी खामियां मिल रही रही हैं। सैकड़ों किसानों ने बिल जमा कर रसीदें प्राप्त की थी लेकिन, घपले में व्यस्त कुछ कर्मचारी हड़बड़ी में लेजर एंट्री नहीं कर पाए। सैकड़ों किसानों की रसीदे ही लेजर में चढ़ाना भूल गए।
अधीक्षण अभियंता आरपी वर्मा- ने बताया की जिन किसानों के बिलों में गड़बड़ी है, उनके रसीद संबंधी दस्तावेज जमा कराए जा रहे हैं। प्रकरण की उज्यस्तरीय जांच हो रही है। किसानों को राहत दिलाने का हर संभव प्रयास है।