हापुड़ में बारिश के साथ चली तेज हवाओं से सरसों की फसल को नुकसान हुआ है। हालांकि गेहूं के लिए फसल वरदान साबित हुई है। जिस तरह मौसम बना हुआ है, इससे अधिक दिनों तक नमी रहने पर सरसों की फसल में भी माहू रोग की संभावना बढ़ सकती है।
सर्दी में सीजन की यह पहली बरसात है, जनवरी माह के कड़ाके की सर्दी ने लोगों को परेशान रखा। हालांकि फसलों के लिए मौसम अनुकूल रहा। लेकिन बुधवार शाम से बृहस्पतिवार सुबह तक हुई बूंदाबांदी के रूप में हुई साल की पहली बारिश ने दलहन तिलहन की खेती को भी नुकसान पहुंचाया है और किसानों को चिंता में डाल दिया है। वहीं गेहूं के लिए यह बारिश फायदेमंद है।
तिलहनी फसलों को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है, दलहन की फसलें भी कम पानी में ही हो जाती हैं। तिलहन में सरसों काफी बड़ी हो चुकी है, जो कई स्थानों पर बारिश के साथ तेज बरसात में गिर भी गई। आलू को पाले से नुकसान है, इस तरह की बरसात से आलू को फिलहाल नुकसान नहीं है।
हालांकि मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि आलू में कई दिन तक पानी भरा रहने से फसल को नुकसान जरूर होता है। इसके साथ ही बारिश से मटर की फसलों में नुकसान होने की संभावना भी बढ़ी है। कृषि वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि इन दिनों गेहूं की फसल के लिए बारिश आवश्यक है। आलू और तिलहनी फसलों के लिए ज्यादा बारिश नुकसान देय है।