हापुड़ में नए शैक्षिक सत्र के लिए छात्रों से अधिक अभिभावक तैयारी कर रहे हैं। पढ़ाई से जुड़े हर सामान के मूल्य आसमान छूने लगे हैं। इसका सीधा असर अभिभावकों पर पड़ रहा है। फीस से लेकर किताबों व स्टेशनरी के दाम 10 से 15 फीसदी तक बढ़ गए हैं। महंगा करने का तरीका भी यह निकाला है कि कॉपी तैयार करने वालों ने दाम बढ़ाने की बजाय कॉपियों में पेज की संख्या कम कर दी है।
माता-पिता किताबों और स्टेशनरी की बढ़ती कीमतों से परेशान हैं। महंगाई की मार पढ़ाई के सामान पर पड़ने लगी है। बच्चों को पढ़ा-लिखाकर कामयाब शख्स बनाने का सपना देखने वाले मध्य वर्गीय अभिभावक महंगाई से परेशान हैं। उनकी साल भर की बचत और मार्च-अप्रैल की सेलरी बच्चों की कॉपी-किताब खरीदने व स्कूल की फीस भरने में ही खर्च हो जाती है। ऐसे में महीने भर फांका कसी में जीवन गुजारना पड़ता है।
कागज महंगा होने के कारण इस बार किताबों के दस से 15 फीसदी तक दाम बढ़ाए गए हैं। नए शैक्षिक सत्र में निजी स्कूलों ने हर क्लास का नया पाठ्यक्रम जारी किया है। ऐसे में पुरानी किताबों से पढ़ना संभव नहीं है, अभिभावकों को कक्षा एक के बच्चे का कोर्स भी तीन हजार से अधिक का ही मिल रहा है। जिन दुकानदारों के पास पुराना माल पड़ा है, उन्होंने भी कागज महंगा होने का बहाना बनाकर, किताबों के दाम बढ़ा दिए हैं। बहुत से स्कूल अपने यहीं से पाठ्यक्रम दे रहे हैं, जो सबसे अधिक महंगा पड़ रहा है।
एक पुस्तक विक्रेता ने बताया कि कागज महंगा होने के कारण कॉपियों के दाम बढ़े हैं। बीते वर्ष 20 रुपये की कॉपी में 112 पेज दिए गए थे, जिन्हें घटाकर 96 कर दिया गया है। यानी 14 पेज कम कर लाभ कमाया जा रहा है। अन्य दाम की कॉपियों और रजिस्टर में भी इसी तरह पेज की संख्या कम की गई है।
बता दें कि बीते वर्ष कागज के दाम बढ़ने से भी कॉपियां महंगी हुई थी, लेकिन इस बार सभी कॉपी बनाने वालों ने पेज कम किए हैं। पेंसिल, रबर सहित स्टेशनरी के अन्य सामान पर दो से पांच रुपये बढ़ाए गए हैं। पेंसिल का जो पैकेट 35 से 45 रुपये का था वह 40 से 50 रुपये कर दिया गया है।
हापुड़ डीआईओएस पीके उपाध्याय- ने बताया की जिले के स्कूल पाठ्यक्रम में एनसीईआरटी की किताबों को शामिल करें। शासन के यही आदेश हैं, छात्रों पर बिन वजह महंगा कोर्स न थोंपा जाए। अभियान चलाकर जांच की जाएगी, इसमें सख्त कार्यवाही भी होगी।