हापुड़ में 60 से अधिक बच्चे मिले एडीएचडी और ऑटिज्म से प्रभावित, स्वास्थ्य विभाग ने जताई चिंता
हापुड़। गर्भावस्था के दौरान मोबाइल फोन पर अधिक समय बिताना अब सिर्फ आदत नहीं, बल्कि गर्भस्थ शिशु के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल रहा है। जिले में ऐसे 60 से अधिक नवजात चिन्हित किए गए हैं, जिनमें अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) और ऑटिज्म जैसे मानसिक विकारों के लक्षण मिले हैं। यह खुलासा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य मिशन द्वारा कराए गए सर्वे में हुआ है।
गंभीर लक्षणों से जूझ रहे बच्चे
मिशन के डॉ. मयंक के अनुसार, गर्भ के दौरान आराम की स्थिति में रह रही महिलाएं ज्यादातर समय मोबाइल स्क्रीन पर बिताती हैं, जिससे भ्रूण के दिमागी तंत्र (न्यूरो सिस्टम) पर बुरा असर पड़ता है। परिणामस्वरूप जन्म के बाद बच्चे सामान्य व्यवहार नहीं दिखाते और चंचलता, गुस्सा व ध्यान की कमी जैसे लक्षण प्रकट करते हैं।
“ऐसे बच्चे नींद में भी एक्टिव रहते हैं, ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते और बहुत जल्दी आक्रामक हो जाते हैं।”
— डॉ. मयंक, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य मिशन
60 से अधिक बच्चे उपचाराधीन
स्वास्थ्य विभाग द्वारा ऐसे 60 बच्चों की पहचान की गई है, जिन्हें न्यूरो सर्जन की निगरानी में उपचार दिया जा रहा है। माता-पिता अक्सर बच्चों के इन व्यवहारों को बचपना मानकर नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे स्थिति और अधिक गंभीर हो जाती है।
सीएमओ ने दी चेतावनी
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. सुनील त्यागी ने कहा कि महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान मोबाइल का अत्यधिक उपयोग नहीं करना चाहिए। उन्होंने सलाह दी कि गर्भवती महिलाएं नियमित जांच कराएं और मोबाइल फोन का प्रयोग कम करें, ताकि भ्रूण पर तकनीकी विकिरण या मानसिक तनाव का प्रभाव न पड़े।
“गर्भावस्था में मोबाइल की लत गंभीर परिणाम दे सकती है, जो नवजात के मानसिक विकास को प्रभावित करती है।”
— डॉ. सुनील त्यागी, सीएमओ
![]()
![]()
![]()
![]()