जनपद हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर में कृषि विभाग के एडीओ सतीश चंद्र शर्मा ने बताया कि दैवीय आपदा से फसलों में होने वाली क्षति के लिए 18 फरवरी 2016 को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का शुभारंभ किया गया था। जिसके तहत किसान रबी और खरीफ सत्र में अपनी फसलों का बीमा करा सकते हैं।
फसलों को प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान व जोखिमों को भरपाई हेतु भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना संचालित है। जनपद हापुड़ के किसान अपनी धान की फसल को बीमित करा सकते हैं। जिसके लिए शासन ने 31 जुलाई अंतिम तारीख घोषित की थी, लेकिन अब शासन ने किसानों को राहत देते हुए तारीख 10 अगस्त तक बढ़ा दी है।
भारत में कृषि सबसे ज्यादा मौसम पर निर्भर है। किसानों की फसल बारिश, ओलावृष्टि, रोगों और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से खराब हो जाती है। ऐसे में कम जानकारी के अभाव एवं सही समय पर फसलों का बीमा न होने की वजह से किसानों को मुआवजा नहीं मिल पाता। जिससे उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है। फसलों में होने वाली क्षति के लिए 18 फरवरी 2016 से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लागू किया गया। जिसका उद्देशय प्राकृतिक आपदाओं से बर्बाद हुई फसलों को मुआवजा देना है।
पीएम फसल बीमा योजना के तहत धान की फसल का एक हेक्टेयर का वित्तमान 85700 रुपये निर्धारित किया गया है, जिसके हिसाब से केसीसी धारक किसान दो प्रतिशत प्रीमियर की दर से बैंक में 1714 रुपये प्रति हेक्टेयर जमा कर अपनी फसल को बीमित करा सकते हैं। लेकिन जिन किसानों के पास केसीसी नहीं हैं, वह बीमा एजेंट अथवा जनसुविधा केंद्र पर जाकर नकद प्रीमियम राशि जमा कराकर भी अपनी फसल को बीमित करा सकते हैं।
गत वर्ष जनपद हापुड़ में केवल 1302 किसानों ने अपनी फसल का बीमा कराया था। जिनमें में 957 किसानों की फसल खराब होने पर उन्हें 26 लाख आठ हजार रुपये का मुआवजा भी मिला था।