हापुड़ के बाजार में आलू के अच्छे दाम मिलने से इस बार शीतगृहों को पर्याप्त आलू नहीं मिल पा रहा है। महज 65 फीसदी तक ही भंडारण हो सका है। कुछ ही शीतगृहों में 80 फीसदी तक आलू पहुंचा है। वहीं, भंडारण शुल्क पर अभी कोई निर्णय नहीं हो सका है, फिलहाल पुराना शुल्क ही प्रभावी किया गया है।
जिले में बड़े पैमाने पर आलू की खेती होती है, इस बार उत्पादन में गिरावट रही। तरकारी के राजा आलू का भाव अब धीरे-धीरे सुर्ख हो रहा है। आलू के भाव में जो जोर का उछाल आया है उससे किसानों को बड़ी राहत मिली है। बाजार में भी किसानों का आलू का अच्छा दाम मिल रहा है। हाईब्रिड आलू सीजन में ही 600 रुपये प्रति कट्टा तक बिक गया। जबकि चिप्सोना आलू का कट्टा 850 रुपये तक पहुंच गया। हालांकि अब इसके दाम कुछ गिरे हैं, बाजार में 750 से 800 रुपये तक आलू बिक रहा है।
वहीं, आलू की कमी से इस बार शीतगृहों के संचालक भी खासे परेशान हैं। इस बार शीतगृहों को पर्याप्त आलू नहीं मिल पा रहा है, बहुत से शीतगृहों में अभी तक 60 से 65 फीसदी ही भंडारण हो सका है। उद्यान विभाग की मानें तो 18 शीतगृहों में 1.80 लाख एमटी आलू के भंडारण की क्षमता है, इसके सापेक्ष करीब 1.08 लाख एमटी आलू का ही भंडारण हो सका है। उधर, दाम अच्छा मिलने से किसान खेतों से ही व्यापारियों को आलू की बिक्री कर रहे हैं, ऐसे में शीतगृहों में भी व्यापारियों का आलू बड़ी मात्रा में स्टोरेज हो रहा है।
शीतगृह एसोसिएशन ने शुगर फ्री आलू का भंडारण शुल्क 300 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया था। लेकिन डीएम ने इसे अभी अनुमति नहीं दी है, बीते दिनों आयोजित बैठक में इस बढ़े शुल्क को प्रभावी नहीं किया गया। बल्कि आसपास के जिलों में जिस तरह का दाम रखा जाएगा, उसी के हिसाब से यहां भी भंडारण शुल्क तय किए जाने का दावा किया गया है।
डीएचओ डॉ. हरित कुमार- ने बताया की जिले के 18 शीतगृहों में भंडारण चल रहा है, उम्मीद है कि 80 से 90 फीसदी स्टोर भर जाएं। भंडारण शुल्क को लेकर जल्द ही दूसरी बैठक होगी, इसमें शुल्क को लेकर निर्णय लिया जाएगा।