जनपद हापुड़ में किसानों को आलू के खरीदार नहीं मिल रहे हैं, शीतगृहों से डेयरी संचालक 60 रुपये में पशुओं के लिए आलू का कट्टा (50 से 60 किलो) खरीदकर ले जा रहे हैं। अच्छी गुणवत्ता के हाईब्रिड आलू को भी ग्राहक नहीं मिल रहे, इसके दाम सिर्फ 200 रुपये तक हैं। चिप्सोना के दाम गिरकर अब 400 तक आ गए हैं। शीतगृहों में अभी करीब दस फीसदी आलू भंडारित है, पिछले कुछ दिनों में दाम और गिरे हैं। पंजाब और संभल का आलू भी बाजार में आने लगा है। इस बार आलू के दाम किसानों के लिए परेशानी का सबब बना है।
जिले में पिछले साल आलू की बंपर पैदावार थी, करीब 1.81 लाख एमटी आलू शीतगृहों में भंडारित किया गया। इसके अलावा बाजार में भी आलू की खूब बिक्री हुई। पूरे सीजन किसान बाजार में आलू के दाम बढ़ने का इंतजार करते रहे। लेकिन दाम नहीं बढ़ सके, चिप्सोना भले ही 600 रुपये तक कट्टा बिका, लेकिन हाईब्रिड और कुफरी बाहर समेत अन्य प्रजाति के आलू 500 का दाम भी नहीं छू पाए। जबकि शीतगृहों में अभी भी करीब 18 हजार एमटी (मीट्रिक टन) आलू भंडारित है।
उद्यान विभाग ने शीतगृहों को नोटिस जारी कर, 30 नवंबर तक शीतगृहों को खाली कराने के आदेश दिए थे। लेकिन किसानों को अभी भी चटकी का इंतजार है, जबकि पिछले 10 दिन में रेट और गिर गए हैं।
अब हाईब्रिड आलू के खरीदार तक नहीं मिल रहे हैं। जिन किसानों ने बिना शुगर फ्री वाली चैंबर में आलू रखा था, अब उन्हें वह आलू पशुओं के लिए बेचना पड़ रहा है। डेयरी संचालक महज 50 से 60 रुपये में आलू का कट्टा पशुओं के लिए खरीदकर ला रहे हैं। किसानों का सामने शीतगृह खाली करने का धर्मसंकट पैदा हो गया है। उद्यान विभाग की तरफ से मदद न मिलने के कारण भी किसान परेशान हैं। चमरी निवासी किसान संजय चौधरी ने बताया कि मंदी की मार के कारण उन्होंने आलू की बुवाई न करने का निर्णय लिया है।