हापुड़ में वायु प्रदूषण सबसे पहले सांसों पर संकट बनता है। ऐसे में प्रदूषण के बढ़ने से अस्थमा के रोगियों की सांस फूलने लगी हैं। बुजुर्गों के सीने में जकड़न की समस्या बढ़ी है। सरकारी और निजी अस्पतालों में ऐसे मरीजों की भरमार है। सीएमओ ने मरीजों की निगरानी के लिए रेस्पोंस टीम को आदेश दिए हैं।
जिला अस्पताल के फिजिशियन डॉ. प्रदीप मित्तल ने बताया कि तापमान गिर रहा है, साथ ही एक्यूआई का स्तर अधिक बढ़ जाने से सांस संबंधी परेशानियां बढ़ी है। धूल के कण सांस के जरिए फेफड़े तक पहुंच जाते हैं। जिसके कारण सांस की नलियां सिकुड़ रही हैं और संक्रमण भी बढ़ रहा है। यह परेशानी अधिक होने पर दमा रोगियों का ऑक्सीजन का स्तर कम होने लगता है।
बदलते मौसम के मिजाज और प्रदूषण का शरीर पर कई तरह से असर होता है, और बच्चों और बुजुर्गों पर इसका असर बहुत ज़्यादा होता है। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. समरेंद्र राय ने बताया कि बच्चों की सांस की नली में सूजन बन जाने से उन्हें खांसी परेशान कर रही है। कई बच्चों में निमोनिया का असर भी दिख रहा है। ऐसे बच्चों को भर्ती कर उपचार देने की आवश्यकता पड़ रही है। अस्पतालों में ऐसे मरीजों की भरमार है।