हापुड़ में प्रदूषण बढ़ने और मौसम में बदलाव से गले में खराश के मरीज बढ़ गए हैं। ऐसे मरीजों को बुखार भी सता रहा है। नजला, खांसी और आंखों की जलन लेकर भी मरीज अस्पताल पहुंचे। बढ़ते प्रदूषण के कारण हृदय, सांस और अस्थमा रोगियों की परेशानी बढ़ गई है। प्रदूषण के कारण सुबह-शाम लोगों ने टहलना भी बंद कर दिया है। अस्थमा के रोगियों को सावधानी बरतने की हिदायत दी गई है।
पिछले कुछ दिनों में मौसम में बदलाव हुआ है। मौसम में बदलाव का असर लोगों की सेहत पर भी पड़ रहा है। पिछले तीन चार दिन में गले में खराश के मरीज बढ़े हैं। पहले इस तरह के मरीज ओपीडी में 100 से 120 आते थे, जोकि अब 200 के पार हो गए हैं। फिजिशियन डॉ. अशरफ अली ने बताया कि मौसम में नमी बनने से वायरस पनपते हैं। जब ये वायरस शरीर में पहुंचते है तो सबसे पहले गले में इसका असर पड़ता है। वायरल संक्रमण के कारण गले में सूजन और जलन की समस्या बनती है। इस वजह से इस मौसम में गले में खराश व एलर्जी होने की आशंका रहती है।
वायरल से पीड़ित व्यक्ति के खांसने व छींकने से भी लोग इसकी चपेट में आ जाते हैं, इसलिए, लोगों को इस मौसम में बचाव करने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि प्रदूषण भरे इस वातावरण में अस्थमा रोगियों को अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है।
स्मॉग के समय घरों से बाहर निकलने में परहेज करें। नियमित दवाओं का इस्तेमाल करें, परेशानी होने पर चिकित्सक से परामर्श लें। अगर किसी इमरजेंसी में बाहर जाना पड़ता है तो मास्क लगाकर जाएं।