जनपद हापुड़ मेंहवा में घुल रहे जहर से गर्भस्थ शिशुओं को खतरा हैं। अल्ट्रासाउंड में दस फीसदी महिलाओं के गर्भ में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं रही है। नवजात शिशु समय से पहले जन्म ले रहे हैं। सामान्य जांच को आने वाली महिलाओं में पांच से आठ फीसदी में इस तरह की समस्या है। एक प्रतिशत महिलाओं के हार्मोंस गड़बड़ा गए हैं।
बुधवार को जिला का एक्यूआई 290 रहा, जो गंभीर है। पिछले महीने तक अस्पतालों की ओपीडी में 250-270 गर्भवती महिलाएं ही विभिन्न समस्याओं को लेकर पहुंच रही थी। लेकिन अब 320-340 महिलाएं आ रही हैं। बढ़ी महिलाओं में प्रदूषण के कारण ही गर्भ संबंधी समस्याएं बनी हैं। गर्भवती महिला को सांस लेने में परेशानी होने से ऑक्सीजन न मिलने के कारण गर्भस्थ शिशु भी प्रभावित होगा। ओपीडी में प्रदूषण से दिक्कत वाली महिलाओं का एहतियातन अल्ट्रासाउंड कर रहे हैं। लंबे समय तक प्रदूषित क्षेत्र में रहने से शिशु का वजन कम होने और ऑटिज्म बीमारी का भी खतरा है।
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ.रेखा शर्मा ने बताया कि प्रदूषण बढ़ने के बाद से ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ी है। इन मरीजों में 10-15 गर्भवती महिलाएं (पांच से नौ माह की गर्भवती) हैं, जिन्होंने धुल, धुआं और बढ़ते प्रदूषण से सांस लेने में परेशानी, गर्भस्थ शिशु का मूवमेंट कम होना बताया। अल्ट्रासाउंड कराया तो दो तीन गर्भवती महिलाओं के गर्भस्थ शिशु तक पर्याप्त ऑक्सीजन की कमी मिली।
पूछताछ पर पता चला कि जहां से यह महिलाएं हैं उनके आस पास धूल, धुएं का स्तर काफी अधिक है। उन्होंने बताया कि बच्चा मां के खून से ही अपनी खुराक पूरी करता है। यदि मां अधिक प्रदूषण वाले स्थान पर रहेगी तो ऑक्सीजन पर्याप्त नहीं मिलेगी, या अशुद्ध ऑक्सीजन खून में आएगी। जिसके कारण बच्चे का शारीरिक विकास रुक जाएगा, मानसिक विकास पर भी गहरा प्रभाव पड़ेगा। इस मौसम में इस तरह का खतरा काफी बढ़ गया है।
हापुड़ सीएमओ डॉ.सुनील त्यागी- ने बताया की समय से पहले जन्में और कमजोर बच्चों के इलाज के लिए सीएचसी में नर्सरी है। जिसमें बाल रोग विशेषज्ञों की पर्याप्त नियुक्ति है। ऐसे बच्चों को इलाज भी दिलाया जा रहा है।