हापुड़ में झुग्गी, झोपड़ी व निराश्रित कॉलोनियों में रह रहे अभिभावक जन्म से ही बच्चों को टीका नहीं लगवा रहे। टीमों का भी विरोध करते हैं। मेरठ रोड की निराश्रित कॉलोनी में डीआईओ, डब्ल्यूएचओ की संयुक्त टीम ने 50 फीसदी सर्वे में 16 बच्चे चिह्नित किए। इनमें 13 का टीकाकरण भी कराया गया। निराश्रित कॉलोनियों में बच्चों को इन जीवनदायक टीकों से वंचित रखा जा रहा है।
हापुड़ शहर में झुग्गी, झोपड़ी व निराश्रित कॉलोनियों में रह रहे बच्चों पर जानलेवा रोग हावी हो सकते हैं। मेरठ रोड, गढ़ रोड, फ्रीगंज रोड पर निराश्रित कॉलोनियों में लोग रह रहे हैं। इनमें स्वास्थ्य विभाग ने मेरठ रोड कॉलोनी का सर्वे किया। करीब 10 घरों की जांच में 16 बच्चे, ऐसे मिले जिन्हें एक भी टीका नहीं लगा था। इसमें तीन बच्चे बुखार से भी पीड़ित थे।
जानकारी पर अभिभावकों ने बताया कि टीके के बाद बच्चों को बुखार हो जाता है, इसलिए टीका नहीं लगवाते। स्थानीय सभासद और पालिका की टीम ने लोगों को समझाया। जिस पर जिन बच्चों को बुखार नहीं था, ऐसे 13 का टीकाकरण किया गया। जन्म से ही बच्चों को टीबी, काली खांसी, हेपेटाइटिस समेत जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए टीके लगाए जाते हैं। इसमें खसरा, पोलियो, गलघोटू जैसी गंभीर बीमारियां भी शामिल हैं।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. योगेश गुप्ता- ने बताया की निराश्रित कॉलोनियों का सर्वे कराया जा रहा है, जिन बच्चों को टीके नहीं लगे। टीके लगवाए जा रहे हैं। अभिभावक जागरूक रहे, टीकाकरण से बीमारियों खतरा नहीं रहता।