जनपद हापुड़ में सरकारी और निजी अस्पतालों की ओपीडी और ईएनटी सर्जन के यहां लकवाग्रस्त रोगियों की संख्या बढ़ने लगी है। ठंड के कारण लकवा के रोगी बढ़ने लगे हैं। इस वायरल संक्रमण से कान के अंदर नस में सूजन आ रही है।
सीएचसी के चिकित्सक डॉ. अशरफ अली ने बताया कि इस रोग में जान तो नहीं जाती लेकिन चेहरे पर टेढ़ापन आ जाता है। पलक नहीं झपकती हैं, आवाज साफ नहीं निकलती है।
रोगियों को इलाज से ठीक होने में 2-3 महीने लग जाते हैं। अस्पतालों में रोजाना 2 से 3 मरीज ऐसे आ जाते हैं। उन्होंने बताया कि जब से ठंड तेज हुई है रोगियों की संख्या में इजाफा हुआ है।
ठंड के एक्सपोजर से सर्दी जुकाम, खांसी लंबे समय तक बने रहने से भी नस में सूजन आ जाती है। यही लकवा का कारण बनती है। इसके अलावा सर्दी लगने से बाल रोग विशेषज्ञों की ओपीडी में बीमार बच्चों की संख्या भी बढ़ गई है।
ऐसे होता है असर:- कान से होकर तंत्रिकाएं (नस) चेहरे पर जाती है। इसमें सूजन आने से चेहरे की मांसपेशियों में खून का बहाव प्रभावित होता है। इससे चेहरे में टेढ़ापन आ जाता है। नर्व प्रभावित होने से पलक के झपकने में भी दिक्कत आती है।
सीएचसी अधीक्षक-डॉ. दिनेश खत्री ने बताया कि सर्दी लगने से बीमार मरीजों की भीड़ बढ़ी है। बच्चों में निमोनिया मिल रहा है, बड़े भी खांसी, जुकाम से परेशान हैं। इसके अलावा लकवा वाले मरीज भी बढ़े हैं। जिन्हें उपचार दिलाया जा रहा है।