जनपद हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर गढ़ क्षेत्र के गांव अक्खापुर के जंगल में कामकाज करने के दौरान एक सप्ताह के भीतर तीन बार तेंदुआ दिखाई दे चुका है। जिससे किसान बुरी तरह खौफजदा होकर खेतों में कामकाज से लेकर पशुओं को चारा लाने से पहले ही कतरा रहे हैं।
गांव के जंगल में सोमवार की सुबह नवीन कुमार के खेत में गन्ने की कटाई के दौरान नील गाय के अवशेष पड़े मिलने से क्षेत्र में व्याप्त दहशत और भी बढ़ गई। सूचना मिलते ही अक्खापुर समेत आसपास के कई गांवों में दहशत फैल गई, जिससे जंगल में कामकाज कर रहे अधिकांश महिला बच्चों समेत किसान अपने घरों को उल्टे पांव भाग निकले। नील गाय के अवशेष मिलने से ग्रामीण इस कदर भयभीत हो रहे हैं कि अपने बच्चों को घर से बाहर तक नहीं निकलने दे रहे हैं।
एक सप्ताह में तीन बार तेंदुआ दिखाई देने से किसान पहले ही इस कदर भयभीत हो रहे थे कि खेतों में पहुंचने का साहस तक नहीं जुटा पा रहे थे। जिसके कारण आसपास के गांवों के जंगल में गन्ने की कटाई का कार्य बुरी तरह प्रभावित चल रहा है। नील गाय के अवशेष मिलने की खबर पर दर्जनों ग्रामीण लाठी डंडे लेकर जंगल में पहुंच गए, जिन्होंने गन्ने की फसलों को घेरकर काफी देर तक खोजबीन की मगर तेंदुए का कोई अता पता लगना संभव नहीं हो पाया। हालांकि खोजबीन के दौरान खेतों की मिट्टी में पंजों के निशान स्पष्ट तौर पर लगे हुए दिखाई देने से तेंदुए के जंगल में छिपा होने की संभावना कहीं अधिक बढ़ गई है।
राजू, विनोद, अमित, सुनील, देवेंद्र का कहना है कि गन्ने की फसल में नील गाय के अवशेष मिलने के बाद खेतों की मिट्टी में तेंदुए के पंजों के निशान स्पष्ट तौर पर दिखाई देने के बाद भी वन विभाग लापरवाही बरतते हुए धरपकड़ को लेकर कोई अभियान चलाने को तैयार नहीं है। किसानों का कहना है कि तेंदुए की आमद से जंगल में आने जाने वालों के साथ कोई भी घटना होने का डर बना हुआ है, परंतु कई बार सूचना देने के बाद भी वन टीम ने मौके पर आना तक भी मुनासिब नहीं समझा है।
रेंजर करन सिंह का कहना है कि ग्रामीणों की सूचना के आधार पर विभागीय टीम भेजकर जांच पड़ताल कराई जाएगी और पंजों के निशान से तेंदुए की पुष्टि होने पर उसकी धरपकड़ को जाल भी लगवाया जाएगा।