हापुड़। कोरोना महामारी से सबक लेने के बावजूद हापुड़ जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था की बड़ी खामी सामने आई है। जिला अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) में स्थापित सात ऑक्सीजन प्लांट आज भी प्रशिक्षित टेक्नीशियनों के बजाय वार्ड बॉय के भरोसे चलाए जा रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग को इन प्लांटों को संचालित करने के लिए कोई तकनीकी स्टाफ नहीं मिला, जिसके चलते वार्ड बॉय को ही इसका प्रशिक्षण देकर प्लांट की जिम्मेदारी सौंप दी गई। हालांकि, इन कर्मचारियों को प्रशिक्षण मिला है, लेकिन तकनीकी खराबी आने पर ये अधिक सक्षम नहीं माने जा रहे।
महज मॉकड्रिल तक सीमित हैं प्लांट
सीएमओ डॉ. सुनील त्यागी के अनुसार, “जिले में दो जिला अस्पतालों और पांच CHC में कुल सात ऑक्सीजन प्लांट हैं। ये सभी चालू स्थिति में हैं, और मॉकड्रिल के दौरान परीक्षण भी किया गया है।” मगर, जमीनी हकीकत यह है कि ये प्लांट सामान्य दिनों में बंद ही रहते हैं।
2020 की त्रासदी और प्लांट लगाने की जरूरत
कोरोना की पहली लहर में हापुड़ में करीब 15,000 मामले सामने आए थे और विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 223 मौतें दर्ज की गईं। उस वक्त ऑक्सीजन की भारी किल्लत थी, जिससे कई मरीजों की जान गई। इस भयावह अनुभव के बाद जिले में सात ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए, लेकिन इनके रखरखाव और संचालन के लिए उचित तकनीकी व्यवस्था आज भी नहीं बन सकी है।
फिलहाल कोरोना केस नहीं, लेकिन…
फिलहाल जिले में कोई कोरोना संक्रमित मरीज नहीं है, और न ही कोई नई गाइडलाइन जारी की गई है। मगर विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी आपातकालीन स्थिति में ये खामी बड़ी समस्या बन सकती है।