जनपद हापुड़ में जिले की छह सीएचसी में ऑपरेशन सेवा बंद हैं। पथरी, हार्निया, बच्चेदानी जैसे ऑपरेशन के लिए मरीजों को तारीखें मिल रही हैं, मजबूरन लोगों को निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ रहा हैं।
धौलाना सीएचसी के एक मात्र सर्जन को जिला अस्पताल में संबद्ध किया गया है, जो सेवाएं दे रहे हैं। एक दिन में अधिकतम तीन ही ऑपरेशन किए जाते हैं। हापुड़ को जिला बने 10 साल से ज्यादा बीत गए हैं, चिकित्सा सेवा में काफी विस्तार हुआ है।
सात सीएचसी अब तक बनकर तैयार हो गई हैं, इसके अलावा 200 से अधिक उप स्वास्थ्य केंद्र, पीएचसी, अपर पीएचसी बनी हैं। लेकिन सभी अस्पताल चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे हैं। विभिन्न बीमारियों से पीड़ित मरीजों को दवा, गोली तो दी जा रही है। लेकिन ऑपरेशन जैसी स्थिति आते ही मरीज का साथ छोड़ दिया जाता है।
लापरवाही का आलम यह है कि हापुड़ के गढ़ रोड सीएचसी में सबसे अधिक मरीजों की ओपीडी है, लेकिन यहां एक साल से कोई सर्जन ही नहीं है। ऐसे में मरीजों को ऑपरेशन के लिए जिला अस्पताल या मेरठ रेफर कर दिया जाता है। गर्भवती महिलाओं की सर्जरी में भी परेशानी होती है।
जिला अस्पताल में एक सर्जन तैनात हैं, जिनकी मूल नियुक्ति धौलाना सीएचसी है। 33 करोड़ के जिला अस्पताल में सेवाएं जारी होने का कॉलम भरा रखने के लिए सर्जन यहां सेवा दे रहे हैं। लेकिन संसाधन और दूरबीन जैसी व्यवस्था नहीं होने के कारण मरीजों की ओपन सर्जरी ही हो रही है, मेजर सर्जरी वाले मरीजों को रेफर करना ही विकल्प होता है।
एक सर्जन दिनभर में बामुश्किल तीन से चार ही ऑपरेशन कर पाते हैं, इस दौरान कोई अन्य ड्यूटी आने पर उन्हें जाना पड़ जाता है। ऑपरेशन की कतार में सैकड़ों मरीज खड़े हैं। सर्जन न होने के कारण ऑपरेशन रोक दिए गए हैं। पथरी, हार्निया, बच्चेदानी जैसे ऑपरेशन के लिए मरीजों को तारीखें मिल रही हैं, मजबूरन लोग निजी अस्पतालों का सहारा ले रहे है, मजबूरी में मरीज 50 हजार से एक लाख रुपये तक खर्च कर निजी अस्पतालों में ऑपरेशन करा रहे हैं।
हापुड़ सीएमओ डॉ. सुनील त्यागी- का कहना है की जिले के अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए शासन को पत्र लिखा गया है। जल्द ही सर्जन और अन्य विशेषज्ञ चिकित्सक मिलने की उम्मीद है। मरीजों को ऑपरेशन सेवा का लाभ दिया जा रहा है।