हापुड़। गढ़ में एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) के बनने के बाद से बार-बार इसके संचालन को लेकर सवाल उठे हैं। एसटीपी का संचालन ठप होनेके कारण सीवरेज का पानी गंगा तक में जाकर गिर रहा है। गंगा का जल पीने योग्य तक नहीं है। पिछले दिनों प्रभारी मंत्री की बैठक में गढ़ विधायक ने एसटीपी के क्रियाशील न होने और पानी का संचालन भी न होने की शिकायत की थी। जिसके बाद अब सीडीओ ने मामले में एक तकनीकी जांच समिति गठित कर दी है।
प्लांट का संचालन न होने से सीवरेज का पानी गंगा नदी में गिर रहा है, जिससे लाखों श्रद्धालुओं की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचती है। साल 2011 में करीब 46 करोड़ रुपये की लागत से गढ़मुक्तेश्वर व ब्रजघाट में गढ़मुक्तेश्वर सीवरेज योजना के तहत निर्माण कार्य शुरू कराया गया था। 2018 में निर्माण कार्य पूरा हो सका लेकिन, आज तक जल निगम के अधिशासी अभियंता प्रथम को प्लांट को हस्तांतरित नहीं किया गया है।
प्लांट के संचालन को लेकर कई बार सवाल उठ चुके हैं। प्लांट का सही प्रकार से संचालन न होने के कारण सीवरेज का पानी गंगा तक में जाकर गिर रहा है। इस कारण केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जांच रिपोर्ट में भी गंगा का जल कई बार पीने योग्य तक नहीं बताया गया है।
प्लांट का निर्माण करने वाली कंपनी द्वारा जल निगम नगरीय के विरुद्ध न्यायालय में वाद दाखिल किया हुआ है। मामले में उत्तर प्रदेश शासन के निर्देश पर दोषी पाए गए संबंधित फर्म व ठेकेदार और उत्तर प्रदेश जल निगम नगरीय के कर्मियों सहित कुल 12 के विरुद्ध सितंबर 2023 में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी।
सीडीओ हिमांशु गौतम- ने बताया की चार अधिकारियों की समिति गठित की गई है, जो सोमवार (आज) को अपनी रिपोर्ट देंगे। इस रिपोर्ट को जिलाधिकारी को सौंपा जाएगा।